292 अप्रैल 2017 ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

पूर्णरूप से भयरहित क्या और क्यों ?


भोगे रोगभयं कुले च्युतिभयं वित्ते नृपालाद्भयं मौने दैन्यभयं बले रिपुभयं रूपे जराया भयम्। शास्त्रे वादभयं गुणे खलभयं काये कृतान्ताद्भयं सर्वं वस्तु भयान्वितं भुवि नृणां वैराग्यमेवाभयम्।। ‘भोगविलास में रोगादि उत्पन्न होने का, सत्कुल में वंश-परम्परा टूटने का, द्रव्य (धन-सम्पदा) में राजा का, मौन-धारण में दीनता का, पराक्रम में शत्रु का, सुंदरता में जरा (बुढ़ापा) का, शास्त्र …

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निष्पाप रहो, निश्चिंत रहो


पूज्य बापू जी एक बार हम लंदन गये थे। किसी भक्त ने बहुत प्रार्थना की तो हम उसके घर गये। घर में कोई प्रेत आदि आता और एक लड़की को सताता था। वह लड़की किसी को भी देखती तो चीखती थी। उस समय लंदन में प्रेत निकालने के बहाने किसी व्यक्ति को मारने-पीटने की घटना …

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