293 मई 2017 ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ब्रह्मज्ञानी के निंदक को भगवान भी देते हैं त्याग !


(संत कबीर जयंतीः 9 जून) एक बार संत कबीर जी अपने शिष्यों व अन्य साधु-संतों की मंडली के साथ सत्संग, भगवन्नाम कीर्तन करते-कराते अनेक तीर्थक्षेत्रों में भ्रमण करते हुए वृंदावन पहुँचे। दूर-दूर से भक्त उनके दर्शन करने आने लगे और सत्संग अमृत का पान कर परितृप्त होते गये। वहाँ से थोड़ी दूरी पर संस्कृत के …

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हे गुरुदेव ! आप ही इस विश्व के सर्वस्व हैं…. संत ज्ञानेश्वरजी


हे गुरुदेव ! आपकी जय हो ! समस्त देवों में आप ही श्रेष्ठ हैं। हे बुद्धिरूपी प्रातःकाल के सूर्य ! सुख का उदय आपसे ही होता है। आप ही सबके विश्रामस्थल हैं। आप ही के द्वारा ‘सोऽहम्’ भाव का साक्षात्कार होता है। इस नाना स्वरूपवाली पंचभूतात्मक सृष्टि की तरंगें जिस समुद्र पर उठती हैं वह …

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