ब्रह्मज्ञानी के निंदक को भगवान भी देते हैं त्याग !
(संत कबीर जयंतीः 9 जून) एक बार संत कबीर जी अपने शिष्यों व अन्य साधु-संतों की मंडली के साथ सत्संग, भगवन्नाम कीर्तन करते-कराते अनेक तीर्थक्षेत्रों में भ्रमण करते हुए वृंदावन पहुँचे। दूर-दूर से भक्त उनके दर्शन करने आने लगे और सत्संग अमृत का पान कर परितृप्त होते गये। वहाँ से थोड़ी दूरी पर संस्कृत के …