293 मई 2017 ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

भगवान से बड़ा कौन व कैसे ? – स्वामी रामसुखदास जी


संत तुलसीदास जी कहते हैं राम सिंधु घन सज्जन धीरा। चंदन तरु हरि संत समीरा।। ‘श्रीरामचन्द्रजी समुद्र हैं तो धीर संत-पुरुष मेघ हैं। श्रीहरि चंदन के वृक्ष हैं तो संत पवन हैं।’ (श्री रामचरित. उ.कां. 119.9) भगवान श्रीकृष्ण भी दुर्वासा जी से कहते हैं- अहं भक्तपराधीनो ह्यस्वतन्त्र इव द्विज। साधुभिर्ग्रस्तहृदयो भक्तैर्भक्तजनप्रियः।। “मैं सर्वथा भक्तों के …

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जीव-ब्रह्म का चल पड़ा खेल सद्गुरु ज्ञान के करते मेल


बाबा श्री भास्करानन्दजी अपनी गंगातट की कुटिया में बैठे भगवन्नाम जप कर रहे थे। माधवदास नामक एक जिज्ञासु ने बाबा जी को विनम्र भाव से प्रणाम करके पूछाः “महाराज जी ! क्या जीव कभी ब्रह्मपद को प्राप्त कर सकता है ? यदि कर सकता है तो कैसे ?” बाबा जी ने कहाः “कमरे की दीवाल …

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कौन सी चर्चाएँ ग्राह्य और कौनसी त्याज्य ?


(गुरु हरगोविंदजी जयंतीः 10 जून 2017) एक दिन गुरु हरगोविंद जी के एक शिष्य ने प्रार्थना कीः “गुरुदेव ! हम गुरुभाईयों में शास्त्र चर्चा करते समय आपस में कोई विवाद उन्पन्न न हो इसका उपाय बताइये।” गुरु हरगोविंद जी ने समझाते हुए कहाः “चर्चाएँ भले चार प्रकार की होती हैं परंतु सज्जनों, बुद्धिमानों या गुरुभाइयों …

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