भगवान से बड़ा कौन व कैसे ? – स्वामी रामसुखदास जी
संत तुलसीदास जी कहते हैं राम सिंधु घन सज्जन धीरा। चंदन तरु हरि संत समीरा।। ‘श्रीरामचन्द्रजी समुद्र हैं तो धीर संत-पुरुष मेघ हैं। श्रीहरि चंदन के वृक्ष हैं तो संत पवन हैं।’ (श्री रामचरित. उ.कां. 119.9) भगवान श्रीकृष्ण भी दुर्वासा जी से कहते हैं- अहं भक्तपराधीनो ह्यस्वतन्त्र इव द्विज। साधुभिर्ग्रस्तहृदयो भक्तैर्भक्तजनप्रियः।। “मैं सर्वथा भक्तों के …