304 ऋषि प्रसादः अप्रैल 2018

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

कर्म में कुशलता आ जाये तो जीते-जी मुक्ति ! – पूज्य बापू जी


बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्योगाय युज्यस्व योगः कर्मसु कौशलम्।। भगवद्गीता के दूसरे अध्याय के 50वें श्लोक में भगवान कहते हैं- समत्व-बुद्धियुक्त पुरुष यहाँ, इस जीवन में पुण्य और पाप – इन दोनों को त्याग देता है। इसलिए तुम योग से युक्त हो जाओ। कर्म में कुशलता योग है और कर्मों की कुशलता का मतलब यह …

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सत्यतम वास्तविकता


एक  छोटा बच्चा था, जिसको कभी दर्पण नहीं दिखाया गया था। उसने आईने में अपने ही डील-डौल का एक बच्चा देखा। वह उसके पास गया और उसने शीशे से अपनी नाक लगायी तो दर्पण वाले बच्चे ने भी वैसा ही किया। बच्चे ने जैसे ही अपने हाथ शीशे पर रखे, शीशा गिरा और उसके दो …

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