317 ऋषि प्रसादः मई 2019

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

तो यहीं, अभी जीवन्मुक्ति का विलक्षण सुख !


जीवन्मुक्ति माने नकद माल ! उधार माल नहीं । जीवन्मुक्ति माने तुरंत आनंद ! जीवन्मुक्ति माने गुलामी से छूटना । चीजों की, आदमियों की, लोक-लोकांतर की, जन्म-मरण की गुलामी से छूटना । यह जो दिन रात आपका अहं बदलता रहता है इसी का नाम पुनर्जन्म है । हाय-हाय ! आज मैंने पाप किया तो मैं …

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अज्ञान क्या है, किसको है और कैसे मिटे ?


स्वामी अखंडानंद सरस्वती जी बताते हैं कि “छोटेपन में हम महात्माओं से पूछतेः ‘अज्ञान कहाँ रहता है ? अज्ञान किसको है ?’ वैष्णवों ने इस अज्ञान पर बड़ा आक्षेप किया है कि अद्वैत मत में इस अज्ञान का कोई आश्रय ही सिद्ध नहीं होता । यदि जीव को अज्ञान का आश्रय कहें तो जीव स्वयं …

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ऊँचें में ऊँचा है सेवा-धर्म ! – पूज्य बापू जी


सेवा साधक के लिए अपनी क्षुद्र वासना व अहं मिटाने की परम औषधि है । सेवा से अंतःकरण की शुद्धि होती है और शुद्ध अंतःकरण का ब्रह्मज्ञान से सीधा संबंध है । यह सेवा ही है जो सर्वेश्वर तक पहुँचने का पथ प्रशस्त करती है । निष्काम भाव से सभी की सेवा करने से स्वयं …

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