319 ऋषि प्रसादः जुलाई 2019

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

स्वास्थ्य का आधारः पथ्य-अपथ्य विवेक


पथ्ये सति गदार्तस्य किमौषधनिषेवणैः । पथ्येऽसति गदार्तस्य किमौषधनिषेवणैः ।। पथ्य हो तो औषधियों के सेवन की क्या आवश्यकता है ? पथ्य न हो तो औषधियों का कोई फल ही नहीं है । अतः सदैव पथ्य का ही सेवन करना चाहिए । पथ्य अर्थात् हितकर । हितकर का सेवन व अहितकर का त्याग करने हेतु पदार्थों …

Read More ..

यह मेरे तारणहार का तिलक है – पूज्य बापू जी


एक सेठ अपने रसोइये को डाँटते कि “तू मेरे घर का खाता है, मेरी नौकरी करता है तो जैसा मैं तिलक करता हूँ, मेरा परिवार तिलक करता है ऐसा तू भी किया कर ।” रसोइया ‘हाँ’, ‘हाँ’ कहता रहा लेकिन अपना तिलक नहीं बदला । आखिर सेठ परेशान हो गये । सेठ ने कहाः “अगर …

Read More ..

प्रवृत्ति को बदलें सत्प्रवृत्ति में


स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं- “अपने ‘मैं’ (अहं) को धन-सम्पत्ति, प्रभुत्व, नाम-यश द्वारा सर्वदा बढ़ाने का यत्न करना, जो कुछ मिले उसी को पकड़े रखना, सारे समय सभी वस्तुओं को इस ‘मैं’ रूपी केन्द्र में ही संग्रहित करना – इसी का नाम है ‘प्रवृत्ति’ ।” यह बंधनकारक है किंतु इसके बदले अगर कोई अपनी धन-सम्पत्ति, …

Read More ..