दशरथ की सभा में छलका जनक जी के दूतों का ज्ञानामृत
जब राजर्षि जनक के दूतों ने महाराज दशरथ को भगवान श्रीरामचन्द्र जी द्वारा शिव-धनुष टूटने का समाचार सुनाया तब भाव से उनका हृदय भर आया और अत्यधिक स्नेह के कारण वे अपने पद की गरिमा भूल गये और दूतों को पास बैठाकर कहने लगेः ″भैया कहहु कुसल दोउ बारे । भैया ! क्या मेरे दोनों …