344 ऋषि प्रसादः अगस्त 2021

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

नित्य गुरुज्ञान में रमण करो ! – पूज्य बापू जी


जीवन में उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं । राग-द्वेष अनादि काल से है, वह भी तुम्हें झकझोरता होगा लेकिन तुम अपना लक्ष्य बना लो कि ‘जैसे मेरे सद्गुरु हर परिस्थिति में सम हैं, शांत हैं सजग हैं, सस्नेह हैं, सविचार हैं, ससत् हैं, सचित् हैं, सानंद हैं अर्थात् सत् के साथ, चेतन के साथ, आनंद …

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आपकी चिंताएँ, दुःख आदि मुझे अर्पण कर दो !


ब्रह्मवेत्ता महापुरुष अपनी ब्रह्ममस्ती में मस्त रहते हुए भी अहैतुकी कृपा करने के स्वभाव के कारण संसार के दुःख, चिंता आदि तापों से तप्त मानव को ब्रह्मरस पिलाने के लिए समाज में भ्रमण करते हुए अनेक अठखेलियाँ करते रहते हैं । एक बार भगवत्पाद साँईँ श्री लीलाशाह जी महाराज आगरा में सत्संग कर रहे थे …

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कितना भी ढीला विद्यार्थी हो…


– पूज्य बापू जी दोनों नथुनों से गहरा श्वास लो । मन में भगवन्नाम जपो फिर हरि ॐ का प्लुत गुंजन करो – हरि ओऽऽ… म्… । जब ॐकार का ‘म’ बोलें तब होंठ बंद कर ‘म’ का दीर्घ (लम्बा) गुंजन करें । इस प्रकार के प्राणायाम करने से मनोबल, बुद्धिबल में विकास होता है, …

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