Monthly Archives: January 2010

‘इन्टरनेशनल स्पिरिच्युल ऑर्गेनाइजेशन’ द्वारा दिल्ली में धरना


चार वर्ष पूर्व यू. के. में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय संगठन ‘इन्टरनेशनल स्पिरिच्युल ऑर्गेनाइजेशन’ (आई.एस.ओ.) की यू.के. के अलावा यू.एस., सिंगापुर, कुवैत, दुबई आदि अनेक देशों के साथ भारत में भी शाखाएँ हैं। आई.एस.ओ., सिर्फ एक धर्म के लिए कार्य नहीं करता बल्कि यह कहीं भी लोगों की धार्मिक भावनाओं की रक्षा हेतु खड़ा होता रहा है। डेन्मार्क के एक अखबार के द्वारा मोहम्मद पैगम्बर का कार्टून छापे जाने पर आई.एस.ओ. (यू.के.) ने अखबार को लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए माफी माँगने की माँग की थी। परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू एवं उनके आश्रमों पर झूठे, बेबुनियाद एवं अत्यंत घृणित आरोप लगाकर उनके करोड़ों-करोड़ों साधकों भक्तों की आध्यात्मिक भावनाओं पर लम्बे समय से प्रहार किये जा रहे हैं। पूज्य बापू जी के करोड़ों भक्तों की आहत भावनाओं के रक्षण हेतु आई.एस.ओ. ने 14 दिसम्बर से जंतर-मंतर (दिल्ली) पर धरना शुरु किया तथा राजू चांडक के पूरे मामले की सी.बी.आई. जाँच एवं उसके नार्को टेस्ट की माँग की। साथ ही बापू जी के बारे में झूठी खबरें छापकर जनता को गुमराह करने वाले ‘संदेश’ अखबार पर कानूनी कार्यर्वाही की भी माँग की गयी। इस धरने में कुछ संस्कृतिप्रेमियों ने अनशन भी रखा था।

पूज्य बापू के खिलाफ चल रहे अनर्गल कुप्रचार से व्यथित अनेक मान्यवरों ने तथा हजारों की संख्या में अध्यात्म एवं संस्कृतिप्रेमी जनता ने इस आयोजन में भाग लिया।

धरने के चौथे दिन मुंबई के बजरंग दल सुरक्षा-प्रमुख श्री पारस राजपूत ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘संत आसारामजी बापू के विरुद्ध हो रहे षडयंत्र का राष्ट्रव्यापी विरोध होना चाहिए एवं इस कार्य के लिए आध्यात्मिक संस्थाओं व बुद्धिजीवियों को आगे आने की जरूरत है।’ इस मौके पर ‘हिन्दू रक्षक दल’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी रूपेश्वरानंद ने बापू द्वारा की जा रही समाज-सेवा की सराहना करते हुए कहा कि ‘बापू के विरुद्ध किये जा रहे षडयंत्र से भारतीय संस्कृति को खतरा है।’ इस अवसर पर ‘विश्व हिन्दू परिषद’ के केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य कृष्णगिरि महाराज ने एवं ओरैया (उ.प्र.) के पुष्पेन्द्र कैलाश सहित अनेकों संतों एवं समाजसेवियों ने उपस्थित लोगों को मार्गदर्शन दिया।

धरने के पाँचवें दिन ‘मानव रक्षा संघ’ के अध्यक्ष अयोध्याप्रसाद त्रिपाठी  ने अपना समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने बापू जी को भारतीय संस्कृति का स्तम्भ बताया और बापू जी पर षडयंत्र संस्कृति पर षडयंत्र बताया। धरने के पाँचवे दिन भी वि.हि.प. के केन्द्रीय मार्गदर्शन मंडल के सदस्य कृष्णगिरिजी महाराज ने उपस्थिति दर्शायी।

धरने के छठे दिन ‘श्रीराम सेना’ के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष श्री सुनील त्यागी जी ने अपना पूरा समर्थन व्यक्त करते हुए कहा कि इस पूरे घटनाक्रम से वे बेहद आहत हैं।

धरने के सातवें दिन हरिद्वार से आये संत-समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वामी ज्ञानेशानंदजी ने कहा कि ‘संतों का अपमान नहीं सहा जायेगा। संत समाजरूपी वृक्ष के मूल हैं और इस मूल को नष्ट करने से समाज भी टिक नहीं सकता। धरना करना संतों का स्वभाव नहीं है पर बापू पर लगाये जा रहे इल्जामों का विरोध करने हेतु सभी संत जंतर-मंतर पर भी उतर सकते हैं।’

लगातार दूसरे दिन उपस्थिति दर्शाते हुए आपने यह भी कहा कि ‘संदेश जैसे अखबार संतों के खिलाफ अनर्गल बातें छापकर पूरे मीडिया को बदनाम कर रहे हैं।’

‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के राष्ट्रीय प्रचारक डॉ. सुमन कुमार भी धरने में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि मैं बापू पर लगाये जा रहे झूठे आरोपों के बहुत मर्माहत हूँ। मैं किसी के बुलाने पर यहाँ नहीं आया हूँ, मेरी अन्तरात्मा ने मुझे प्रेरित किया एवं मेरे कर्तृत्व की याद दिलायी इसलिए मैं यहाँ धरने में शामिल हुआ हूँ।’

धरने के नौवें दिन संत-समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वामी श्री कमलेशानंदजी महाराज ने कहा कि ‘पूरा संत-समाज बापू के लिए अपने प्राणों को त्यागने से पीछे नहीं हटेगा।’

धरने के दसवें दिन हरिद्वार के जूना अखाड़ा के मंडलेश्वर स्वामी श्री केशवानंद गिरिजी अपने अखाड़े के 35 संतों के साथ जंतर-मंतर पर उतर आये। इसके अलावा देश के अन्य प्रांतों से आये अखाड़ों के प्रतिनिधिमंडल भी बापू के समर्थन में दिल्ली पधारे। हैदराबाद से आये श्री शैलेन्द्रजी ने कहा कि ‘संतों को धरने पर उतरना पड़े, इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता।’

रीवा से आयी साध्वी सरस्वती देवी ने उपस्थित लोगों से धर्म की रक्षा के लिए आगे आने का संकल्प कराया।

धरने के ग्यारहवें दिन हरिद्वार, वृन्दावन, ऋषिकेश, दिल्ली आदि विभिन्न स्थानों से आये संतों ने बड़ी संख्या में धरने में भाग लिया। उन्होंने चेतावनी दी की पूज्य आसारामजी बापू के विरूद्ध कुप्रचार को बंद नहीं किया गया तो वे सारे विश्व में व्यापक आंदोलन चलायेंगे।

धरने के तेरहवें दिन पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं म.प्र. की पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती धरना-स्थल पर पधारीं एवं उन्होंने बापू पर लगाये गये आरोपों को निराधार बताया।

धरने के चौदहवें दिन प्रतिपक्ष के मुख्य सचेतक विधायक श्री साहिबसिंह चौहान और विधायक श्री मतीन अहमद ने धरना स्थल पर आकरक आश्रम के खिलाफ किये जा रहे षडयंत्रों की निंदा की।

धरने के पंद्रहवें दिन वि.हि.प. दिल्ली के संयोजक श्री विजय खुराना ने कहा कि ‘हिन्दुओं को संगठित होने की जरूरत है। बापू हिन्दुओं के मानबिन्दु हैं। उन पर ऐसे आरोप हिन्दुओं की आस्था पर चोट हैं।’

धरने के सोलहवें दिन वृन्दावन से आये महामंडलेश्वर आचार्य 1008 स्वामी श्री परमात्मानंदजी महाराज ने भूख हड़ताल पर बैठे लोगों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि उनका संकल्प रंग लायेगा।

मुसलिम समुदाय भी धरने के समर्थन में उतरा। रोहिणी मस्जिद के इमाम मौलवी हातीफ कासिम ने कहा कि ‘बापू पर इल्जाम सभी सूफी फकीरों की तौहीन है और यह इल्जाम नाजायज है।’ ‘राष्ट्रीय मुसलिम मंच’ के सदस्य मोहम्मद इरफान सलमानी ने कहा कि ‘सूफी संत अल्लाह का नूर हैं, बापू ऐसे ही सूफी हैं। ऐसे सूफी के बारे में कोई खराब बोलता है तो हमें तकलीफ होती है। बापू एक रास्ता दिखा रहे हैं और उस पर चलकर बहुत से परिवार चैन-सुकून से जी रहे हैं।’

धरने के सत्रहवें दिन मुसलिम समुदाय के साथ सिख समुदाय भी बापू जी के समर्थन में खुलकर सामने आ गये। श्री गुरुसिंह सभा गुरुद्वारे के प्रधान सरदार श्री सुच्चा सिंहजी ने कहा कि ‘हमारे गुरुओं ने हिन्दू संस्कृति की रक्षा में बलिदान दिया है। संतों पर झूठे इल्जाम नहीं सहे जायेंगे और किसी भी झूठे आरोप पर लगाम लगाने के लिए हम उतरेंगे।’ जत्थेदार सरदार कृपाल सिंह जी भी धरना-स्थल पर उपस्थित रहे।

वि.हि.प., दिल्ली के संगठन मंत्री श्री करूण प्रकाश जी एवं महामंत्री श्री सत्येन्द्र मोहनजी भी धरने के समर्थन में उतरे।

धरने के अठारहवें दिन वि.हि.प. के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंघलजी स्वयं पधाकर अनशन एवं धरने का समापन करना चाहते थे परन्तु शारीरिक अस्वस्थता के कारण चाहते थे परन्तु शारीरिक अस्वस्थता के कारण आपने वि.हि.प. के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सिंघलजी को भेजा तथा स्वयं फोन द्वारा भूख हड़ताल एवं धरने पर बैठे सज्जनों को उनकी माँगों के लिए संघर्ष करने का विश्वास दिलाकर उनसे अपना तोड़ने तथा धरने को समाप्त करने की अपील की।

सिंघलजी के आश्वासन से आश्वस्त होकर एवं आपकी अपील का सम्मान करते हुए दिनांक 31 दिसम्बर को धरने का समापन किया गया।

इस धरने में हरिद्वार के आचार्य स्वामी श्री अशोकानंदजी महाराज भी अन्न त्यागकर भूख हड़ताल में शामिल हुए थे। अधिकृत रूप से चार तथा अनधिकृत रूप से पंद्रह से अधिक लोगों ने अनशन रखा था। इस धरने में दिल्ली के अलावा राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश आदि विभिन्न राज्यों से आये हजारों लोगों ने भाग लिया। धरना-समापन के अवसर पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह-मंत्रालय एवं सूचना-प्रसारण मंत्रालय को आई.एस.ओ. के द्वारा ज्ञापन दिया गया।

स्रोतः ऋषि प्रसाद जनवरी 2010, पृष्ठ संख्या 2-4

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हिन्दू समाज को कलंकित करने का अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र


सुश्री उमा भारती, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश

5-6 साल से भारत के मान्यवर साधु-संतों को बदनाम करने की शुरूआत हुई। उसमें पहला नम्बर आया कांची पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी का। इन महापुरुष को बलात्कार और हत्या का आरोपी बना दिया गया व बाद में साजिश की पोल खुलने पर दोनों मामलों से वे बरी भी हो गये, लेकिन इन पाँच सालों में उन पर व उनके अनुयायियों पर क्या गुजरी होगी ! हिन्दू समाज की प्रतिष्ठा को कितना नुकसान हुआ ! अब दूसरा टारगेट आसारामजी बापू हैं। बापू तो निकलेंगे निर्दोष होकर लेकिन तब तक प्रतिष्ठा का जो नुक्सान होगा उसकी भरपाई कर पायेगा कोई ? भगवान के घर से भरपाई होती है तो अपने तरीके से होती है। शंकराचार्य के संदर्भ में भगवान के घर से हुई भरपाई ! गुमराह होकर ऐसे पापकर्म करने वाली जयललिता ने ऐसी मुँह की खायी कि अब वह कभी उठकर खड़ी नहीं हो सकती भारत की राजनीति में।

मैं मीडिया के सभी बन्धुओं को कहूँगी कि आपको अपनी जिम्मेदारी इतनी तो समझनी पड़ेगी कि इन संस्थाओं के साथ लाखों करोड़ों लोग जुड़े होते हैं। उन लोगों ने इन संस्थाओं से जुड़कर शराब छोड़ी, दुराचरण छोड़े और उनकी जिंदगी बदल गयी। वे बापू के साथ जुड़ गये तो मानवता की सेवा में लग गये, अच्छे कामों में लग गये, उन्होंने बीड़ी सिगरेट तक छोड़ दिया। जब इन लोगों की श्रद्धा पर आप कुप्रचार द्वारा प्रहार करेंगे तो वे फिर से बुराई के रास्ते पर जायेंगे।

मुझे बहुत दुःख हुआ कि बापू के बारे में ऐसी बातें हुईं। वे भी वहाँ से उदभूत हुई जहाँ पर हमारी विचारधारा वाली सरकार हो। जिनका काम है कि वे साधु-संतों की रक्षा करें, अगर वे ही साधु-संतों पर कुठाराघात करेंगे तो फिर तो अधर्म और पाप का इतना बोलबाला होगा कि फिर वह रोके नहीं रुकेगा। साधक महिलाओं, बालकों, बुजुर्गों के सात कितनी मारपीट हुई है ! यह ठीक नहीं है। साधु-संत ही हैं जो अच्छाई को फूँक-फूँककर सुलगाये हुए हैं, जिन्दा रखे रहे हैं और हम इन्हीं की साँस बंद करने का प्रयास करें तो इससे बड़ा पाप हमारे लिये और क्या हो सकता है ! हम हिन्दू हितों की रक्षा की बात करते हैं और अगर हिन्दू हितों की रक्षा करने वाली पार्टी के ऊपर ये आरोप लग जायें तो फिर हिन्दू समाज किसके दरवाजे पर जायेगा ? मैं आडवाणी जी को मिली थी और वे स्वयं गाँधीनगर से साँसद भी हैं। मैंने उनको कहा था कि कुछ तथ्यों पर आप गौर करिये। बिना इन पर गौर किये हम एक हवा में बह जायें और जो अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्र चल रहा है हिन्दू समाज को पथभ्रष्ट कर देने का, हम ही गलती से उस षडयंत्र में भागीदार हो जायें, यह अच्छा नहीं है। इन तथ्यों पर नरेन्द्र मोदी भी गौर करें और बी.जे.पी. के नेता भी –

पहला- अगर बापू के आश्रम में से किसी ने गुरुकुल के बच्चों की हत्या होती तो क्या उनके शव आश्रम के पीछे फेंक देते ?

दूसरा- राजू जिसने स्वयं अपने गुनाह कबूल कर लिये हैं, उनका जीना तो सच को अदालत में साबित करने के लिए जरूरी है तो उसे मरवाने की कोशिश आश्रम क्यों करेगा ?

तीसरा- जमीनों की जहाँ तक बात है, ये जमीनें संस्था को या तो भेंट में प्राप्त हुई हैं अथवा तो खरीदी हुई हैं, जिनके खरीदी के दस्तावेज मौजूद हैं। वे तो आप देखिये !

चौथा- क्या बापू ने यह कहा है कि “मैं नरेन्द्र मोदी की सत्ता मिटा दूँगा।” बापू ने ऐसा कभी नहीं कहा बल्कि चैनलवाले ही बापू के सिर्फ चित्र दिखाकर साथ-साथ खुद बढ़ा-चढ़ाकर शब्द डाल रहे हैं। एंकर और रिपोर्टर जो बोल रहा है उसका कोई मतलब नहीं होता है। मैं मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री थी तब बापू के आश्रम में रुकी हूँ और मेरे पूरे कार्यकाल में कभी प्रशासन या सी.आई.डी. द्वारा आश्रम के संदर्भ में किसी गैरकानूनी कार्य की शिकायत सामने नहीं आयी। बापू को मैं अपना पिता मानती हूँ। बापू पर आरोप बिल्कुल निराधार हैं और इसकी गारंटी मैं लेती हूँ। बापू की संस्था में कोई रहस्यमय गतिविधि नहीं है। जो है सब खुला है। भजन, कीर्तन, सत्संग होता है, साधना होती है। इनकी स्पष्ट गतिविधियाँ हैं कि वे लोगों की बुराइयाँ छुड़ा रहे हैं, गौ सेवा आदि में लगे हैं। तो आसारामजी बापू जैसे संत जो इस प्रकार से समाज-हित के कार्यों में लगे हैं, हमें तो इनके सहयोगी बनना चाहिए।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2010, पृष्ठ संख्या 8, 25

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भ्रांति में न आना, निष्ठा निभाना


महामंडलेश्वर आचार्य 1008 स्वामी श्री परमात्मानंदजी महाराज, वृन्दावन

महान संत आसाराम बापू जी को हम सच्चा कुंदन समझते हैं, उनको सच्चा पारसमणि समझते हैं। हमने उनको नजदीक से देखा है, कम से कम 50 साल से देखते आ रहे हैं। ऐसा संत इस विश्व में न भूतो न भविष्यति। उन पर ये चाण्डाल-चाण्डाल लोग जो दोषारोपण कर रहे हैं वह सम्पूर्णतया मिथ्या है। थोड़े दिन के अंदर दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा। हमारे आसारामजी बापू महाराज निर्दोष थे, निर्दोष हैं और निर्दोष ही रहेंगे। आप किसी भ्रांति में नहीं आना, किसी अज्ञानता में न आना, किसी के षडयंत्र में नहीं आना बल्कि अपनी श्रद्धा, अपना विश्वास, अपनी आस्था, अपनी निष्ठा प्राणपण से निभाना।

देखिये, जो सत्य होता है उसके लिए कोई क्रियाएँ नहीं करनी पड़तीं लेकिन जो झूठ होता है उसके लिए सौ-सौ षडयंत्र करने पड़ते हैं। दो और दो चार, यह सत्य है लेकिन दो और दो चार को पाँच बनाने के लिए चेष्टा करनी पड़ेगी, षडयंत्र करना पड़ेगा और फिर भी कभी-न-कभी पोल खुल ही जायेगी।

जो समाज के शरीर को कष्ट देना चाहता है वह शासक नहीं होता, शासक वह होता है जो समाज के हृदय में बैठ जाय। राष्ट्र के सही नियामक, सही प्रशासक तो बापू आसारामजी जैसे संत हैं, जो समाज को शांति दे रहे हैं। सच्चा शासन तो संत करते हैं।

शासन करने में रावण भी बड़ा प्रभावशाली था, राम भी बड़े प्रभावशाली थे लेकिन याद रखना, रावण में एक चीज़ थी और राम में दूसरी चीज़ थी जो हमारे संतों में है। रावण में प्रभाव था लेकिन ‘स्व’ भाव नहीं था और राम में प्रभाव भी था और ‘स्व’ भाव भी था इसलिए सारे राष्ट्र में राम जी के प्रति पूज्यभाव है।

हमारे आसारामजी बापू में प्रभाव भी है, सारा विश्व जानता है और ‘स्व’ भाव भी है, आत्मीय भाव भी है, नहीं तो उनके लिए यहाँ बैठते इतने संत-महापुरूष, भक्त ! भाव से आये हैं। जैसा भाव तुम्हारे हृदय में होगा वैसा ही तुम्हारा संसार बनेगा। यह भाव तन में आ जाय तो दान बन जाता है, पाँव में आ जाये तो नृत्य बन जाता है, वाणी में आ जाय तो प्रेमाश्रु बन जाता है, होठों में आ जाय तो मुस्कराहट बन जाता है। यही भाव हृदय में आ जाय तो प्रेम बन जाता है और आसारामजी जैसे साधु-संतों और गुरुओं के प्रति हो जाय तो श्रद्धा बन जाता है और वहाँ दृढ़ हो जाये तो भगवान से एकाकार करने वाली परम आनंददायिनी भक्ति बन जाता है।

कुछ विषधर साँपों ने समाज की संस्कृति को हड़पने का षडयंत्र किया है, सँभल जाना। ये संत समाज की शांति है, समाज का विश्वास है, राष्ट्र की अमानत है, राष्ट्र के मनीषी हैं, राष्ट्र का धर्म हैं, राष्ट्र के भगवान हैं और इनकी रक्षा करना हमारा धर्म है। धर्मो रक्षति रक्षितः। तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2010, पृष्ठ संख्या 7

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