अधर्मियों का सत्यानाश हो !

अधर्मियों का सत्यानाश हो !


इन दिनों प्रातः अनेक टी.वी. चैनलों व समाचार पत्रों में देखने व पढ़ने को मिल रहा है कि संत श्री आसाराम जी बापू पुलिस के पुलिसिया जाल में फँसे हुए हैं। उनके ऊपर गुजरात प्रदेश की पुलिस द्वारा राजू चांडक उर्फ राजू लम्बू के कहने पर गोली मारने व जान लेवा हमले आई.पी.सी. धारा 307 आदि कई धाराओं का मुकद्दमा पंजीकृत कर लिया गया है। यह बात आठवें आश्चर्य जैसी लग रही है कि एक विश्वप्रसिद्ध संत, जो पूरी दुनिया में सनातन धर्म व हिन्दू संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के साथ नशामुक्त जीवन को प्रोत्साहन देना, योग-पद्धति से निरोग रहना सिखाना व अनेक आध्यात्मिक मंत्रों के माध्यम से निराश व्यक्तियों में जान डालना, देश के कोने-कोने में हमारी आगे आने वाली युवाशक्ति को बाल संस्कारों के माध्यम से अच्छे संस्कार देने का कार्य करना तथा हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में गरीब व आदिवासी बस्तियों में स्वयं जाकर जीवनोपयोगी सामग्री बँटवाना आदि समाज उपयोगी अने कार्य करके क्या कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को गोली मार सकता है ? कदापि नहीं, कभी नहीं।

पुलिस व प्रशासन के पास शक्ति होती है कि वे तो एक छोटे से साधारण कपड़े को काला सर्प बना देते हैं। अपनी लाठियों के बल पर किसी निर्दोष व्यक्ति से जबरन अपराध साबित करवा लेते हैं। अपराधी को सजा अवश्य मिलनी चाहिए, सबके साथ न्याय होना चाहिए परंतु यह इस देश का दुर्भाग्य है कि वास्तविक अपराधी आज भी कानून के दायरे से बहुत दूर रहते हैं। बापू जी के अहमदाबाद आश्रम में की गयी तोड़ फोड़ की सी.डी. देखकर हम हैरान हो गये और इतिहास के पन्नों में पढ़े हुए अनेक करूण प्रसंग, जिनमें अंग्रेजों द्वारा गुलाम भारत के लोगों को यातनाएँ देकर जंजीरों में जकड़ के मारा-पीटा जाता था, की याद आ गयी और हृदय द्रवित हो गया। न सिर्फ सैंकड़ों साधकों को बाल पकड़कर बंदूक के कुंदों व डण्डों से उनके गुप्तांगों में मारते हुए गाड़ियों में बैठाया गया, बल्कि बेरहमीपूर्वक आश्रम की संपत्ति पुलिस द्वारा नष्ट की गयी, रोकड़ चुरायी गयी, लूटमार की गयी, घण्टों उत्पात मचाया गया। साधकों को इतना मारा-पीटा कि उनके हाथ-पैर व अंग-भंग कर दिये गये। पुलिस का यह अधर्म संविधान की किस धारा के अंतर्गत आता है ? किस कानून व विवेचना में यह लिखा है कि इस तरह से निर्दोष, निरपराध लोगों को मारा पीटा जाये ?

देश के किसी भी प्रदेश की पुलिस के पास क्या इतनी हिम्मत है कि इस तरह खुले रूप से किसी मस्जिद, मदरसे व गिरजाघर में घुसकर (बापू जी के आश्रम की तरह) तोड़फोड़ करे और किसी मौलवी-पादरी को मारे-पीटे ? ऐसा कभी नहीं कर सकते। क्योंकि करेंगे तो उस क्षेत्र में आगजनी हो जायेगी, दंगा हो जायेगा, तबाही मच जायेगी। ये केवल हिन्दू संतों व आश्रमों में ही अपना कानून चलाते हैं। अनेक राजनेता सिमी (आतंकवादी संगठन) के पक्ष में बयानबाजी करते हैं, कोई नेता खुले रूप से भारत माँ को डायन कहता है, कोई अफजल गुरू जैसे क्रूर आतंकवादी को फाँसी न देने की वकालत करता है। पुलिस ऐसे राजनेताओं को स्पष्ट द्रोह के जुर्म में क्यों गिरफ्तार नहीं करती ? क्यों डरती है आतंकवादियों को सरेआम गोली मारने से ? क्यों जेलों में आतंकवादियों को बिरियानी खिलायी जाती है ? 13 सितम्बर 2008 को दिल्ली में बम धमाके हुए। 26 नवम्बर 2008 को देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई में बम धमाके हुए। क्या स्वामी आदित्यनाथ पर हमला आतंकवाद नहीं है ? क्या स्वामी लक्ष्मणनंदजी की हत्या आतंकवाद नहीं है ? इस्लामी आतंकवाद के अनेक भयानक चेहरे देशवासियों को भयभीत कर रहे हैं। जिला मुजफ्फरनगर में हिन्दुओं की धार्मिक शोभायात्रा को अपवित्र किया गया, सुल्तानपुर में गणेश चतुर्थी की धार्मिक यात्रा पर आक्रमण हुआ परंतु इन कट्टरपंथी तत्त्वों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई। हिंसक और आतंकी संगठनों को तुष्ट करने के लिए हिन्दू समाज का दमन हो रहा है। हमारे हिन्दू संतों, आचार्यों व हमारे धर्म कोई भी आँख उठाये, जो कोई भी अत्याचार करे, हमें उससे मजबूती से लड़ना होगा। संत श्री आसारामजी बापू के आश्रम पर हमला-यह एक साजिश है। साजिश करने वालों का भी हमको डटकर मुकाबला करना होगा। आने वाले समय में यदि हिन्दू भाइयों के अंदर अपनी संस्कृति व धर्म के खिलाफ अत्याचार करने वालों को सबक सिखाने की भावना व संघर्ष करने की क्षमता न रही तो हो सकता है कि हमको फिर से गुलामी के दिन देखने पड़ें।

‘अखिल भारत हिन्दू महासभा’ ऐसे षड्यंत्रों के प्रति सदैव सजग रहती है। महासभा के कार्यकर्ताओं के अंदर पूज्य वीर सावरकरजी जैसी देशभक्ति की भावना सदैव विद्यमान रहती है। महासभा पूज्य बापू जी के साथ हो रहे इस तरह के अन्याय का विरोध अपनी जान की बाजी लगाकर करेगी। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जनपद में धरना-प्रदर्शन के माध्यम से पुलिस की इस गंदी कार्यप्रणाली व अत्याचार को रोकने हेतु प्रदर्शन, ज्ञापन व आध्यात्मिक शक्ति के आधार पर कार्य करने की रणनीति प्रांतीय अध्यक्ष श्री महंत नारायण गिरि (पीठाधीश्वर-दुग्धेश्वर नाथ मठ, गाजियाबाद) की अध्यक्षता में आगामी प्रदेश कार्य समिति की बैठक में सम्पन्न होगी। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणी महाराज ने भी इस अमानवीय घटना की निंदा की। उ.प्र. के कार्यकारी अध्यक्ष श्री राकेश कुमार आर्य एडवोकेट ने भी पुलिस के इस अन्यायपूर्ण रवैये की कटु आलोचना की है। अत्याचार की विरोध भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण, श्री परशुरामजी, पवनपुत्र श्री हनुमान जी, महर्षि दधीचि, महर्षि गौतम आदि ने सदैव ही किया है तथा अत्याचारियों को सबक सिखाया है। हम भी अपने आपको उनके अनुयायी मानते हैं तो क्यों अत्याचार, जुल्म बर्दाश्त करें ! मृत्यु तो निश्चित है तो क्यों डरें ! इस देश के अनेक क्रांतिवीरों ने हँसते हुए  अपनी जानें गँवायी हैं, उन क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सपनों को हमें भी साकार रखने के लिए प्रत्येक क्षण सजग रहना होगा। सधन्यवाद !

मनोज त्रिवेदी

सम्पादक, सा.हिन्दू वार्ता

महामंत्री, अखिल भारत हिन्दू महासभा, उ.प्र.

स्रोतः ऋषि प्रसाद, फरवरी 2010, पृष्ठ संख्या 7,8. अंक 206

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