निम्नलिखित ढंग की एक दैनंदिनी रखो। यह प्रतिदिन आपको अपने कर्तव्यों की याद दिलायेगी। यह आपको पथ-प्रदर्शक और शिक्षक का काम देगी।
सोकर कब उठे ?
कितनी देर तक भगवान की प्रार्थना की ?
क्या पाठशाला का कोई काम शेष है ?
क्या आज आपने मनमानी करने के लिए अपने माता-पिता और शिक्षक की आज्ञा भंग की ?
कितने घंटे गपशप में या कुसंगति में बिताये ?
कौन सी बुरी आदत को हटाने का प्रयास चल रहा है ?
कौन से गुण का विकास कर रहे हो ?
कितनी बार क्रोध किया ?
क्या आप अपने वर्ग में समयनिष्ठ रहते हैं ?
आज कौन सी निःस्वार्थ सेवा की ?
क्या खेल और शारीरिक व्यायाम में नियमित रहे और कितने मिनट या घण्टे इसमें लगाये।
किसी को मन, वचन और कर्म से हानि तो नहीं पहुँचायी ?
प्रतिदिन प्रत्येक प्रश्न के सामने उत्तर लिख दो। चार-छः माह के अनन्तर आप अपने में महान परिवर्तन पायेंगे। आप पूर्णतः रूपांतरित हो जायेंगे। इस आध्यात्मिक दैनंदिनी के पालन से आपकी आश्चर्यजनक रूप से उन्नति होगी।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2010, पृष्ठ संख्या 27, अंक 212
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