अमृतफल आँवला

अमृतफल आँवला


चिरयौवन व दीर्घायुष्य प्रदान करने वाला, रसायन द्रव्यों में सर्वश्रेष्ठ, आयुर्वेद में ‘अमृतफल’ नाम से सम्बोधित व औषधियों में श्रेष्ठ फल है – आँवला। आँवला सभी ऋतुओं में, सभी जगह सभी के लिए लाभदायी है।

आँवला विटामिन सी का राजा होने के कारण शरीर को रोगाणुओं के आक्रमण से बचाता है, शारीरिक वृद्धि में आने वाली रूकावटों को दूर करता है, यकृत के कार्यों को सुचारू रूप से चलने में मदद करता है, जीवनीशक्ति को बढ़ाता है तथा दाँतों व मसूढ़ों को मृत्युपर्यन्त सुदृढ़ बनाये रखता है।

स्वादिष्ट, पुष्टिप्रद आँवला पाक

गुण और उपयोगः आँवले का यह हलवा अत्यंत स्वादिष्ट, पुष्टिदायक व उत्तम पित्तशामक है। यह सप्तधातुओं की वृद्धि कर शरीर को बलवान व वीर्यवान बनाता है। इसके सेवन से पित्तजनित विकार जैसे – आँखों की जलन, आंतरिक गर्मी, सिरदर्द आदि तथा उच्च रक्तदाब, रक्त व त्वचा के विकार, मूत्र एवं वीर्य संबंधी विकार नष्ट हो जाते हैं। यह एक अत्यन्त सुलभ, सस्ता एवं गुणकारी प्रयोग है।

सामग्रीः ताजे पके हुए रसदार आँवले 1 किलो, मिश्री या चीनी 1 किलो, घी 100 ग्राम, चिरौंजी 25 ग्राम, इलायची (छोटी या बड़ी) 10 ग्राम।

विधिः कुकर में आँवले व आधी कटोरी पानी डालकर आँवलों को उबाल लें। उबले हुए आँवलों में से गुठलियाँ निकालकर गूदा अलग कर लें। गूदे को घी में तब तक भूनें, जब तक पानी का अंश पूर्णतः जल न जाय। पानी जल जाने पर गूदे में से घी अलग होने लगता है। अब इसमें मिश्री या चीनी मिलाकर कलछी से हिलाते रहें। मिश्रण हलवे जैसा गाढ़ा होने पर नीचे उतारकर उसमें इलायची तथा चिरौंजी मिला दें।

सेवन की मात्राः दो चम्मच (सुबह)।

सावधानीः आँवले के सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए। शुक्रवार, रविवार, षष्ठी तथा सप्तमी के दिन आँवले का सेवन निषिद्ध माना गया है (परंतु बाकी के दिनों में इसका सेवन अवश्य करना चाहिए।)

चटनी, मुरब्बा आदि के रूप में अन्य रीतियों से भी आँवले का सेवन कर लाभ उठा सकते हैं।

औषधि प्रयोग

नवशक्ति की प्राप्तिः  एक महीने तक आँवले का चूर्ण नियमित रूप से घी, शहद और तिल का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मनुष्य की बोलने की शक्ति बढ़ती है, शरीर कांतिमान हो उठता है तथा चिरयौवन प्राप्त होता है।

इन्द्रियों की कार्यक्षमता में वृद्धिः आँवले का चूर्ण पानी, घी या शहद के साथ सेवन करने से जठराग्नि बढ़ती है, सुनने, सूँघने, देखने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है तथा दीर्घायुष्य प्राप्त होता है।

हृदय की मजबूतीः सूखा आँवला एवं मिश्री चूर्ण सम मात्रा में एक-एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से हृदय मजबूत होता है। हृदय के वाल्व ठीक ढंग से कार्य करते हैं। हृदयरोगियों को यह प्रयोग कम से कम एक वर्ष तक नियंत्रित करना चाहिए।

काले, घने, रेशम जैसे बालों के लिएः 20 सि 40 ग्राम सूखा आँवला 200 ग्राम पानी में रात को भिगो दें व सुबह उस पानी से बाल धो दें। आँवला-मिश्री का समभाग चूर्ण पानी के साथ सेवन करें। इस प्रयोग से बालों की सभी समस्याएँ खत्म हो जायेंगी व बाल चमचमाते नजर आयेंगे।

गर्भवती स्त्रियों के लिएः नित्य 2 नग मुरब्बा सुबह खाली पेट गर्भवती महिला को खिलाने से प्रसव नैसर्गिक रूप से बिना किसी औषधि और चिकित्सकीय सहयोग के होता है तथा शिशु में तीव्र रोगप्रतिरोधक क्षमता पायी जाती है, जिसके प्रभाव से शिशु ओजस्वी व सुंदर होता है।

उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) आँवले का मुरब्बा छः माह तक नित्य प्रातःकाल खाली पेट खाने से लाभ होता है।

समस्त यकृत रोगः ताजे आँवलों का 25 से 35 ग्राम रस या सूखे आँवलों का 5 ग्राम चूर्ण सेवन करने से यकृत (लीवर) के दोष दूर हो जाते हैं।

पेट के कीड़ेः ताजे आँवले का रस छः चम्मच और शुद्ध शहद 1 चम्मच मिलाकर एक सप्ताह तक सुबह शाम दें। इससे निश्चित रूप से कृमि मल के साथ बाहर आ जाते हैं।

पेट के समस्त रोगः आँवला चूर्ण का गोमूत्र के साथ सेवन करने से पेट के लगभग सभी रोगों में लाभ होता है।

तेज व मेधा की वृद्धिः आँवला चूर्ण घी के साथ रोज सेवन करने से शरीर में तेज व मेधाशक्ति की वृद्धि होती है।

दीर्घायु-प्राप्ति हेतुः ‘गरूड़ पुराण’ के अनुसार सौ वर्ष तक जीने के इच्छुक व्यक्ति को नित्य आँवला मिले जल से स्नान करना चाहिए।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2010, पृष्ठ संख्या 29,30 अंक 214

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *