हम सब एकजुट होकर इस षडयन्त्र का सामना करें – आचार्य बालकृष्ण

हम सब एकजुट होकर इस षडयन्त्र का सामना करें – आचार्य बालकृष्ण


हम जानते हैं कि हमारे सामने, बापू जी के सामने एक समस्या विकराल रूप में खड़ी है। निश्चित रूप से जो भारतीय संस्कृति, परम्परा के प्रति रूचि या निष्ठा रखने वाले हैं, वे समझते हैं कि सच्चाई क्या है और बापू जी के विरुद्ध में षडयन्त्र कितना है। तो हमें भी सच्चाई और षडयन्त्र को समझने का प्रयास करना चाहिए। हमारी परम्परा बहुत उदारतापूर्ण रही है और हमारी संस्कृति से जुड़े हुए सामान्य लोगों ने भी कभी किसी को न तो पीड़ा दी, न उनको सताया तो उनके जो मार्गदर्शक हैं, पथप्रदर्शक हैं उनके द्वारा किसी को पीड़ा दिया जाना – ऐसा कैसे हो सकता है ! जो साधु-संत हैं वे तो कभी भी समाज के अहित का नहीं सोचते हैं परंतु जब वे समाज का हित करते हैं तो बहुत सारे ऐसे तत्त्व हैं जिनको वह रास नहीं आता है। हमारे समाज, हिन्दू संस्कृति की परम्पराओं, मूल्यों और आदर्शों का उत्थान होता हुआ शायद वे आसुरी शक्तियाँ देखना नहीं चाहती हैं और ऐसी शक्तियाँ विभिन्न तरह के षडयन्त्र करती हैं। षडयन्त्र करने के लिए वे एक-एक संत को चुन के शरारतपूर्ण हरकतें करती हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम संगठनात्मक रूप से एक हों क्योंकि उस संगठन को भेदने की शक्ति उन दुष्प्रचारकों और आसुरी शक्तियों में कभी भी  नहीं होती। इसलिए आज समय आ गया है कि हम सभी, हमारी सनातन वैदिक हिन्दू परम्परा से जुड़ी जितनी भी संस्थाएँ और संगठन हैं, जितने भी साधु-महात्मा हैं वे सब एकजुट हों और इस तरह के जितने भी षडयन्त्र हैं, उनके विरुद्ध  ललकारने के सामर्थ्य से मैदान में उतरें तथा सुनियोजित ढंग से उनको चुनौती देते हुए दुष्प्रचार की काट करें।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2013, पृष्ठ संख्या 20, अंक 251

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