हेमंत ऋतु में जठराग्नि प्रदीप्त रहती है। इस समय पौष्टिक पदार्थों का सेवन कर वर्षभर के लिए शारीरिक शक्ति का संचय किया जा सकता है। निम्नलिखित प्रयोग केवल 15 दिन तक करने से शारीरिक कमजोरी दूर होकर शरीर पुष्ट व बलवान बनता है, नेत्रज्योति बढ़ती है तथा बुद्धि को बल मिलता है।
सामग्रीः बादाम 5 ग्राम, खसखस 10 ग्राम, मगजकरी (ककड़ी, खरबूजा, तरबूज, पेठा व लौकी के बीजों का समभाग मिश्रण) 5 ग्राम, काली मिर्च 7.5 ग्राम, मालकंगनी 2.5 ग्राम, गोरखमुंडी 5 ग्राम।
विधिः रात्रि को उपरोक्त मिश्रण कुल्हड़ में एक गिलास पानी में भिगोकर रखें। सुबह छानकर पानी पी लें व बचा हुआ मिश्रण खूब महीन पीस लें। इस पिसे हुए मिश्रण को धीमी आँच पर देशी घी में लाल होने तक भूनें। 400 मि.ली. दूध में मिश्री व यह मिश्रण मिला के धीरे-धीरे चुसकी लेते हुए पियें।
15 दिन तक यह प्रयोग करने से बौद्धिक व शारीरिक बल तथा नेत्रज्योति में विशेष वृद्धि होती है। इसमें समाविष्ट बादाम, खसखस व मगजकरी मस्तिष्क को बलवान व तरोताजा बनाते हैं। मालकंगनी मेधाशक्तिवर्धक है। यह ग्रहण व स्मृति शक्ति को बढ़ाती है एवं मस्तिष्क था तंत्रिकाओं को बल प्रदान कराती है। अतः पक्षाघात (अर्धांगवायु), संधिवात, कंपवात आदि वातजन्य विकारों में, शारीरिक दुर्बलता के कारण उत्पन्न होने वाले श्वाससंबंधी रोगों, जोड़ों का दर्द, अनिद्रा, जीर्णज्वर (हड्डी का ज्वर) आदि रोगों में एवं मधुमेह के कृश व दुर्बल रुगणों हेतु तथा सतत बौद्धिक काम करने वाले व्यक्तियों व विद्यार्थियों के लिए यह प्रयोग बहुत लाभदायी है। इससे मांस व शुक्र धातुओं की पुष्टि होती है।
अमृतफल आँवला
आँवला धातुवर्धक श्रेष्ठ रसायन द्रव्य है। इसके नित्य सेवन से शरीर में तेज, ओज, शक्ति, स्फूर्ति तथा वीर्य की वृद्धि होती है। यह टूटी हुई अस्थियों को जोड़ने में सहायक है तथा दाँतों को मजबूती प्रदान करता है। इसके सेवन से आयु, स्मृति व बल बढ़ता है। हृदय एवं मस्तिष्क को शक्ति मिलती है। बालों की जड़ें मजबूत होकर बाल काले होते हैं।
ताजे आँवले के रस में नारंगी के रस की अपेक्षा 20 गुना अधिक विटामिन सी होता है। हृदय की तीव्र गति अथवा दुर्बलता, रक्तसंचार में रुकावट आदि विकारों में आँवले के सेवन से लाभ होता है। आँवले के सेवन से त्वचा का रंग निखर आता है व कांति बढ़ती है।
वर्षभर किसी न किसी रूप में आँवले का सेवन अवश्य करना चाहिए। यह वर्षभर निरोगता व स्वास्थ्य प्रदान करने वाली दिव्य़ औषधी है।
खास सर्दियों के लिए बुद्धिशक्तिवर्धक प्रयोग
मालकंगनी (ज्योतिष्मती) उत्तम मेधावर्धक है। 1 से 10 बूँद मालकंगनी तेल बतासे पर डालकर खायें। ऊपर से गाय का दूध पियें। 40 दिन तक यह प्रयोग करने से ग्रहण व स्मृति शक्ति में लक्षणीय वृद्धि होती है। इन दिनों में उष्ण, तीखे, खट्टे पदार्थों का सेवन न करें। दूध व घी का उपयोग विशेष रूप से करें।
बादाम बौद्धिक, शारीरिक शक्ति व नेत्रज्योति वर्धक हैं। रात को 4 बादाम पानी में भिगो दें। सुबह छिलके उतार के जैसे हाथ से चंदन घिसते हैं, इस तरह घिस के दूध में मिलाकर सेवन करें। इस प्रकार से घिसा हुआ 1 बादाम 10 बादाम की शक्ति देता है। बालकों के लिए 1 से 2 बादाम पर्याप्त हैं।
प्रतिदिन मोरार जी देसाई गिनकर सात काजू खाते थे। इससे अधिक बादाम या काजू खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे गुर्दे (किडनी) और यकृत (लीवर) कमजोर हो जाते हैं। बिना भिगोये अथवा बिना छिलके उतारे बादाम खाने से पाचनतंत्र पर अधिक जोर पड़ता है।
काले तिल मस्तिष्क व शारीरिक दुर्बलता को दूर करते हैं। 10 ग्राम काले तिल सुबह खूब चबा चबाकर खायें। ऊपर से ठंडा पानी पियें। बाद में 2-3 घंटे तक कुछ न खायें। इससे शरीर को खूब पोषण मिलेगा। दाँत व केश भी मजबूत बनेंगे। (पित्त प्रकृति के लोग यह प्रयोग न करें।)
50-50 ग्राम गुड़ और अजवायन को अच्छी तरह कूटकर 6-6 ग्राम की गोलियाँ बना लें। प्रातः सायं एक एक गोली पानी के साथ लें। एक सप्ताह में ही शरीर पर फैले हुए शीतपित्त के लाल चकते दूर हो जाते हैं।
होमियो तुलसी गोलियाँ
आज की दौड़ धूपभरी जिंदगी जीने वालों के पास इतना समय कहाँ है कि वे शास्त्रों में वर्णित विधि-विधान से पतितपावनी तुलसी का सेवन कर सकें। यह ध्यान में रखते हुए आश्रम व गौशाला के पवित्र वातावरण में उपजी सर्वरोगहारी तुलसी से होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति द्वारा छोटी-छोटी मीठी गोलियों के रूप में बनायी गयी हैं।
इनका नियमित सेवनः
स्मरणशक्ति व पाचनशक्ति वर्धक।
हृदयरोग, दमा. टी.बी. हिचकी, विष-विकार, ऋतु-परिवर्तनजन्य सर्दी-जुकाम, श्वास खाँसी, खून की कमी, दंत रोग, त्वचासंबंधी रोग, सिरदर्द, प्रजनन व मूत्रवाही संस्थान के रोगों में लाभकारी।
कुष्ठरोग, मूत्र व रक्त विकार आदि में लाभदायी। हृदय, यकृत (लीवर), प्लीहा व आमाशय हेतु बलवर्धक।
बच्चों का चिड़चिड़ापन, जीर्णज्वर, सुस्ती, दाह आदि में उपयोगी।
संधिवात, मधुमेह (डायबिटीज), यौन-दुर्बलता, नजला, सिरदर्द, मिर्गी, कृमि रोग एवं गले के रोगों में लाभदायी।
भारी व्यक्ति का वजन घटाता है एवं दुबले-पतले व्यक्ति का वजन बढ़ाता है।
हर आयुवर्ग के रोगी तथा निरोगी, सभी के लिए लाभदायी।
कफ व वायु का विशेष रूप से नाशक। पित्त प्रकृति वालों को सेवन करनी हो तो 2-2 गोली सुबह शाम आधाकप पानी में घोल के लें।
इसके अलावा ये अनेक बीमारियों में अत्यंत लाभदायी हैं, जिनकी जानकारी के लिए इन गोलियों के साथ दिये गये जानकारी पर्चे को पढ़ें।
सम्पर्कः 01704-223343, 09318190467
स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2013, पृष्ठ संख्या 30-31, अंक 252
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