राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय को अग्रेषित किया पत्र
राज एक्सप्रेस, नई दुनिया, जनपक्ष (छिंदवाड़ा)। देश में दामिनी कांड के बाद बने रेप के नये सख्त कानूनों के दुरुपयोग को लेकर शहर के सामाजिक कार्यकर्ता भगवानदीन साहू ने दिनांक 7-12-2013 को जिला कलेक्टर, छिंदवाडा के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर पॉक्सो एक्ट पर पुनर्विचार कर उसे शीघ्र बंद करने की मांग की है।
ज्ञापन में उल्लेख था कि ये कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए लागू किये गये थे लेकिन कानून के लागू होने के बाद से महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध और बढ़ गये हैं। साथ ही देश में इन कानूनों का घोर दुरुपयोग हो रहा है। कुछ गिने चुने दुष्कर्मियों के कारण देश के 65 करोड़ पुरुषों के साथ अन्याय हो रहा है। झूठे रेप केसों के बढ़ते आँकड़ों को देखकर सभ्य परिवारों के पुरुषों एवं महिलाओं को डर लग रहा है। इसके कारण कई सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थान अब महिलाओं को नौकरी नहीं दे रहे हैं तथा नौकरी के पेशेवाली महिलाओं के साथ डर के कारण भेदवाला व्यवहार किया जा रहा है। यह सब महिलाओं के हित में नहीं है। आज देश में भुखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा का प्रतिशत ज्यादा है। आज भी देश में कई महिलाएँ अपना शरीर बेचकर परिवार का भरण-पोषण करती हैं। इन गरीब महिलाओं को थोड़ा बहुत पैसे का लालच देकर किसी पर भी झूठा आरोप लगाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। देश में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं। जैसे –
संत आशाराम बापू- इन्होंने पूरे विश्व में आध्यात्मिक क्रांति लायी एवं करोड़ों-करोड़ों लोगों को दुर्व्यसनों से छुटकारा दिलाया, साथ ही धर्मांतरण पर भी रोक लगायी। इसी वजह से विरोधी लोग इनकी ताक में बैठे थे।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए.के.गांगुली- ये पश्चिम बंगाल के राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष थे। इन्होंने 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले में 122 टेलिकॉम कम्पनियों के लाइसेंस रद्द किये थे, जिससे इन कम्पनियों को अरबों रूपयों का नुक्सान सहना पड़ा। शायद इसी वजह से उनके विरोधी लोग इनकी ताक में बैठे थे।
ऐसे कई उदाहरण देश के सामने आये हैं। इन सब बातों से श्री साहू ने राष्ट्रपति जी को अवगत कराया। माननीय राष्ट्रपति जी ने विषय की गम्भीरता को देखते हुए 7 फरवरी 2014 को भारत सरकार के गृह मंत्रालय को पत्र क्रमांक पी1-ए-0702140105 के माध्यम से साहू जी के प्रतिवेदन को समुचित कार्यवाही हेतु भेज दिया है, जिसकी एक प्रति आवेदक को भी भिजवायी गयी।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2014, पृष्ठ संख्या 18, अंक 256
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