ॐॐॐ बापू जी जल्दी बाहर आयें – आरती

ॐॐॐ बापू जी जल्दी बाहर आयें – आरती


(तर्ज – ॐ जय जगदीश हरे….)
ॐॐॐ बापू जल्दी बाहर आयें। बापू जल्दी बाहर आयें।
ये संकल्प हमारा-2, जल्दी दरश दिखायें।। बापू जल्दी बाहर आयें…
भक्तों के लिए तुमने कितने कष्ट सहे। बापू कितने कष्ट सहे।
जब-जब तुम्हें पुकारा-2, दौड़े चले आये। बापू जल्दी बाहर आयें।।
मात-पिता हम सबके, बंधु सखा तुम्हीं। बापू बंधु-सखा तुम्हीं।
तुम बिन कौन हमारा-2, विनती सुन लो मेरी। बापू जल्दी बाहर आयें।।
ज्ञान भक्तिमय अमृत आपने हमको दिया। बापू आपने हमको दिया।
निंदा-अपयश जैसे-2, विष को स्वयं पिया। बापू जल्दी बाहर आयें।।
संस्कृति रक्षा हेतु, है अवतार लिया। बापू ने अवतार लिया।
दोषरहित होकर भी-2, बँधना स्वीकार किया। बापू जल्दी बाहर आयें।।
करूणा सागर गुरुवर लीला कर ये रहे। बापू लीला कर ये रहे।
अंतर्यामी होकर-2, सब कुछ देख रहे। बापू जल्दी बाहर आयें।।
तुमसे हम हैं बापू और न कोई जग में। बापू और न कोई जग में।
तुम ही दूर हुए तो-2, जायें कहाँ बच्चे ? बापू जल्दी बाहर आयें।।
भक्त पुकारें बापू ! अब तो दरश दिखाओ। बापू अब तो दरश दिखाओ।
राह निहारें हम सब-2, अब न देर करो। बापू जल्दी बाहर आओ।।
ॐॐॐ बापू जल्दी बाहर आयें।……
स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2015, पृष्ठ संख्या 15, अंक 265
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