पुरुषप्रवर ! श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मण को भोजन कराने से पहले उनसे आज्ञा पाकर शाक और लवनहीन अन्न से अग्नि में तीन बार हवन करना चाहिए । उनमें ‘अग्नये कव्यवाहनाय स्वाहा ।’ इस मंत्र से पहली आहुति , ‘सोमाय पितृमते स्वाहा ।’ इससे दूसरी आहुति एवं ‘वैवस्वताय स्वाहा ।’ कहकर तीसरी आहुति देने का समुचित विधान है । तत्पश्चात हवन से बचे हुए अन्न को थोडा-थोडा सभी ब्राम्हणों के पत्रों में परोसे ।