तुलसी देती आरोग्य – लाभ के साथ सुख – शांति व समृद्धि भी
जिसकी तुलना सम्भव न हो ऐसी ‘तुलसी’ का नाम उसकी अतिशय उपयोगिता को सूचित करता है | तुलसीजी का पूजन, दर्शन, सेवन व रोपण आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक – तीनों प्रकार के तापों का नाश कर सुख – समृद्धि देनेवाला है | अत: विश्वमानव तुलसी के अदभूत गुणों का लाभ लेकर स्वस्थ, सम्मानित जीवन की ओर चले और वृक्षों के अंदर भी उसी एक परमात्म – सत्ता को देखने के भारतीय संस्कृति के महान दृष्टिकोण से अपने भावों को दिव्य बनाये – इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र के हितचिन्तक पूज्य बापूजी की पावन प्रेरणा से वर्ष २०१४ से २५ दिसम्बर को भारतसहित विश्व के कई देशों में ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाना प्रारम्भ हुआ | तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल, व आरोग्यबल बढ़ता है | मानसिक अवसाद, आत्महत्या आदि से रक्षा होती है |
तुलसी एक, नाम अनेक
तुलसी का रस सर्वोत्तम होने से इसे ‘सुरसा’ भी नाम दिया गया | हर जगह आसानी से उपलब्ध होने से इसे ‘सुलभा’ भी कहा जाता है | यह गाँवों में अधिक मात्रा में होती हैं अत: ‘ग्राम्या’ भी कहलाती है | शूल का नाश करनेवाली होने से इसे ‘शूलघ्नी’ भी कहा जाता है | वनस्पतिशास्त्र की भाषा में इसे ‘ओसिमम सेन्कटम्’ (Ocimum Sanctum ) कहा जाता है |
महौषधि तुलसी
पूज्य बापूजी कहते हैं : “तुलसी आयु, आरोग्य, पुष्टि देती है | यह उसके दर्शनमात्र से पाप – समुदाय का नाश कर देती है | तुलसी का स्पर्श करनेमात्र से वह शरीर को पवित्र बनाती है और जल देकर प्रणाम करने से रोगों की निवृत्ति होने लगती है और वह व्यक्ति नरक में नहीं जा सकता |
तुलसी के ५ – ७ पत्ते चबाकर खाये व कुल्ला करके वह पानी पी जाय तो वात, पित्त और कफ दोष निवृत्त होते हैं, स्मृतिशक्ति व रोगप्रतिकारक शक्ति भी बढ़ती है तथा जलोदर – भगंदर की बीमारी नहीं होती | तुलसी कैंसर को नष्ट करती है |
जिसके गले में तुलसी – लकड़ी की माला हो अथवा तुलसी का पौधा निकट हो तो उसे यमदूत नहीं छू सकते हैं | तुलसी – माला को गले में धारण करने से शरीर में विद्युत् तत्त्व या अग्नि तत्त्व का संचार अच्छी तरह से होता है, ट्यूमर आदि बन नहीं पाता तथा कफजन्य रोग, दमा, टी.बी. आदि दूर ही रहते हैं | जीवन में ओज – तेज बना यह बात समाने आयी कि तुलसी के पौधे की ९ बार परिक्रमा करने पर उसके आभामंडल के प्रभाव – क्षेत्र में ३ मीटर की आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हो गयी | आभामंडल का दायरा जितना अधिक होगा, व्यक्ति उतना ही अधिक कार्यक्षम, मानसिक रूप से क्षमतावान व स्वस्थ होगा |
लखनऊ के किंग जाँर्ज मेडिकल कॉलेज में ‘तुलसी’ पर अनुसंधान किया गया | उसके अनुसार ‘पेप्टिक अल्सर, ह्रदयरोग, उच्च रक्तचाप, कोलाइटिस और दमे ( अस्थमा) में तुलसी का उपयोग गुणकारी है | तुलसी में ‘एंटीस्ट्रेस’ (तनाव-रोधी) गुण है | प्रतिदिन तुलसी की चाय (दूधरहित) पीने या नियमित रूप से उसकी ताज़ी पत्तियाँ चबाकर खाने से रोज के मानसिक तनावों की तीव्रता कम हो जाती है |’
पूज्य बापूजी कहते हैं : “वैज्ञानिक बोलते हैं कि जो तुलसी का सेवन करता है उसका मलेरिया मिटा जाता है अथवा आता नहीं है, कैंसर नहीं होता | लेकिन हम कहते हैं कि यह तुम्हारा नजरिया बहुत छोटा है, ‘तुलसी भगवान की प्रसादी है | यह भगवत्प्रिया हैं, हमारे ह्रदय में भगवत्प्रेम देनेवाली तुलसी माँ हमारी रक्षक, पोषक है’, ऐसा विचार करके तुलसी खाओ, बाकी मलेरिया आदि तो मिटना ही है | हम लोगों का नजरिया केवल रोग मिटाना नहीं है बल्कि मन प्रसन्न करना है, जन्म-मरण का रोग मिटाकर जीते – जी भगवदरस जगाना है |”
ऋषि प्रसाद – दिसम्बर २०१५ निरंतर अंक : २७६