कब्ज से राहत देने वाली अनमोल कुंजियाँ – पूज्य बापू जी

कब्ज से राहत देने वाली अनमोल कुंजियाँ – पूज्य बापू जी


प्रातः पेट साफ नहीं होता हो तो गुनगुना पानी पी के खड़े हो जायें और ठुड्डी को गले के बीचवाले खड्डे में दबायें व हाथ ऊपर करके शरीर को ऊपर खींचें । पंजों के बल कूदें । फिर सीधे लेट जायें, श्वास बाहर छोड़ दें व रोके रखें और गुदाद्वार को 30-32 बार अंदर खींचें, ढीला छोड़ें, फिर श्वास लें । इसको स्थलबस्ती बोलते हैं । ऐसा तीन बार करोगे तो लगभग सौ बार गुदा का संकुचन-प्रसरण हो जायेगा । इससे अपने-आप पेट साफ होगा । और कब्ज के कारण होने वाली असंख्य बीमारियों में से कोई भी बीमारी छुपी होगी तो वह बाहर हो जायेगी ।

सैंकड़ों पाचन-संबंधी रोगों को मिटाना हो तो सुबह 5 से 7 बजे के बीच सूर्योदय से पहले-पहले पेट साफ हो जाय… नहीं तो सूर्य की पहली किरणें शरीर पर लगें, सूर्यस्नान करने से भी पेट साफ होने में मदद मिलती है ।

कई लोग जैसे कुर्सी पर बैठा जाता है, ऐसे ही कमोड (पाश्चात्य पद्धति का शौचालय) पर बैठकर पेट साफ करते हैं । उनका पेट साफ नहीं होता, इससे नुकसान होता है । शौचालय सादा अर्थात् जमीन पर पायदान वाला होना चाहिए । शौच के समय आँतों पर दबाव पड़ना चाहिए, तभी पेट अच्छी तरह से साफ होगा । पहले शरीर का वज़न बायें पैर पर पड़े फिर दायें पैर पर पड़े । इस प्रकार दोनों पैरों पर दबाव पड़ने से उसका छोटी व बड़ी – दोनों आँतों पर प्रभाव होता है, जिससे पेट साफ होने में मदद मिलती है । तो पैरों पर वज़न हो इसी ढंग से शौचालय में बैठें ।

दायाँ स्वर चलते समय मल-त्याग करने से एवं बायाँ स्वर चलते समय मूत्र-त्याग करने से स्वास्थ्य सुदृढ़ होता है ।

सर्दियों में पुष्टि के विशेष प्रयोग

सर्दियों में सुबह 4 से 5 खजूर को घी में सेंककर खा लें । ऊपर से इलायची, मिश्री व 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण डालकर उबाला हुआ दूध पियें । इससे रक्त, मांस व शुक्र धातु की वृद्धि होती है ।

2 से 3 बादाम रात को पानी में भिगो दें । सुबह छिलके निकाल के बारीक पीस लें व दूध में मिला के उबालें । इसमें मिश्री और 5-10 ग्राम घी मिला के लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है एवं मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है ।

कृश एवं दुर्बल व्यक्ति बीज निकले 5 खजूर घी में सेंककर सुबह चावल के साथ खाये । इससे वज़न एवं बल में वृद्धि होती है ।

कैसे रखें सर्दी को दूर ?

कुछ लोगों को सर्दी सहन नहीं होती, थरथराते हैं, दाँत से दाँत बजते हैं, हाथ काँपते हैं । वे कड़ाही में थोड़ा सा घी डाल दें और फिर उसमें गुड़ गला दें । जितना गुड़ डालें उतनी सोंठ डाल दें । समझो 25 ग्राम सोंठ डाल दी । उसे घी में गला के सेंक दें । 1-1 चम्मच सुबह-शाम चाटने से सर्दी झेलने की ताकत आ जायेगी ।

राई पीस के शहद के साथ पैरों के तलवे में लगा दें तो सर्दी में ठिठुरना बंद हो जायेगा ।

उत्तम स्वास्थ्य हेतु जानिये शीत ऋतु के अपने आहार-विहार में….

क्या करें क्या न करें
हरड़ चूर्ण घी में भूनकर  नियमित रूप से लेने तथा भोजन  में घी का उपयोग करने से शरीर बलवान होकर दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है । अति श्रम करने वाले, दुर्बल, उष्ण प्रकृतिवाले एवं गर्भिणी को तथा रक्त व पित्त दोष में हरड़ का सेवन नहीं करना चाहिए ।
सर्दियों में प्रतिदिन सुबह खाली पेट 15 से 25 ग्राम काले तिल चबाकर खाने व ऊपर से पानी पीने से शरीर पुष्ट होता है व दाँत मृत्युपर्यंत दृढ़ रहते हैं । तिल और दूध का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए और रात्रि को तिल व तिल के तेल से बनी वस्तुएँ खाना वर्जित है ।
सूर्य किरणें सर्वरोगनाशक व स्वास्थ्यप्रदायक हैं । रोज़ सुबह सिर को ढककर 8 मिनट सूर्य की ओर मुख व 10 मिनट पीठ करकें बैठें । सूर्यकिरणों में अधिक समय तक सिर को ढके बिना रहना व तेज धूप में बैठना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।
शीतकाल में व्यायाम व योगासन विशेष जरूरी हैं । इन दिनों जठराग्नि बहुत प्रबल रहने से समय पर पाचन-क्षमता अनुरूप उचित मात्रा में आहार लें अन्यथा शरीर को हानि होगी । दिन में सोना, देर रात तक जागना, अति ठंड सहन करना, अति उपवास आदि शीत ऋतु में वर्जित है । बहुत ठंडे जल से स्नान नहीं करना चाहिए ।

 

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2109, पृष्ठ संख्या 32, 33 अंक 313

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