किसी ने एक महात्मा से पूछाः “महाराज ! भगवान की पूजा क्यों करें ?”
महात्मा जी ने कहाः “यह प्रश्न की उचित रीति नहीं है । प्रश्न होना चाहिए कि ‘पूजा क्यों न करें ?’
यदि पूजा से महत्त्वपूर्ण कोई काम हो तो पूजा छोड़कर उसे करो लेकिन पूजा छोड़ के सिनेमा देखना, क्लब में जाना, जुआ खेलना, गप्पें लड़ाना इत्यादि तो मत करो । अपने मन को सात्त्विक बनाओ । नियमानुसार पूजा करने से मन में सत्त्वगुण बढ़ेगा । सात्त्विकता को बनावटी मत रहने दो । अपनी सात्त्विकता को स्वाभाविक हो जाने दो ।”
स्रोतः ऋषि प्रसाद, सितम्बर 2019, पृष्ठ संख्या 6 अंक 321
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