जीवन की हर परिस्थिति का सदुपयोग करो । जो भी परिस्थिति आये – मान आये, सुख आये तो चिंतन करो कि ‘प्रभु मुझे उत्साहित करने के लिए मान दे रहे हैं, सफलता और सुविधा दे रहे हैं । हे प्रभु ! तेरी असीम कृपा को धन्यवाद है !’
जीवन में जब अपमान हो, दुःख आये, असफलता आये, विरोध हो, विपत्ति आये तब चिंतन करोः ‘हे दयालु प्रभु ! तू मुझे विपरीत परिस्थितियाँ देकर मेरी आसक्ति ममता छुड़ा रहा है । मेरी परीक्षा लेकर मेरा साहस व सामर्थ्य बढ़ा रहा है । हे प्रभु ! तेरी कृपा की सदा जय हो !’ ऐसी समझ यदि आपने विकसित कर ली तो फिर कोई भी परिस्थिति आपको हिला नहीं सकेगी और आप निर्बल मन से आत्मदेव में स्थित होने का सामर्थ्य पायेंगे ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2020, पृष्ठ संख्या 17 अंक 336
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