‘आम के आम, गुठलियों के दाम’ यह कहावत यथार्थ ही है । इन
गुठलियों के लाभों का आयुर्वेद में भलीभाँति वर्णन किया गया है एवं
अनुभवी पुरखों द्वारा परम्परागत रूप से लाभ लिया जाता रहा है पर
जानकारी के अभाव में हम गुठलियों को प्रायः कचरे के डिब्बे में फेंक
देते हैं । गुठली की गिरी (मींगी) विभिन्न प्रकार के पोषक तत्त्वों से
भरपूर है, जो कि शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए अत्यंत
महत्त्वपूर्ण हैं ।
पूज्य बापू जी के सत्संग में आता हैः “शरीर में विटामिन बी-12
की बहुत जरूरत होती है । बी-12 कम होता है तो भूख कम लगती है
और अन्य समस्याएँ भी पैदा होती है । कुछ लोग बी-12 की पूर्ति के
लिए मांसाहार करते हैं, उसकी कोई जरूरत ही नहीं है । आम की गुठली
में बहुत सारा बी-12 होता है । आम खाने के बाद गुठलियाँ फेंक देते हैं,
आगे से इन्हें इकट्ठा करके सुखा के रख देवें । फिर इन्हें तोड़कर इनकी
मींगी को सेंक लें । इसे सुपारी की नाँईं भी खा सकते हैं । देश-विदेश में
बी-12 की टेबलेटों में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं और वे साइड इफेक्ट भी
करती हैं । तो आप इसका लाभ लें । इससे आपको विटामिन बी-12 की
कमी नहीं होगी और किसी को होगी तो दूर हो जायेगी ।”
आधुनिक अनुसंधानों से ज्ञात हुआ है कि आम की गुठली की 100
ग्राम मींगी में आम के 2 किलो गूदे से जयादा पोषक तत्त्व हैं । आम के
गूदे से 20 गुना ज्यादा प्रोटीन, 50 गुना ज्यादा स्निग्धांश (फैट) व 4
गुना ज्यादा कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है । बी-12 शरीर में लाल रक्त
कोशिकाओं के उत्पादन में एवं तंत्रिका-तंत्र (नर्वस सिस्टम) को स्वस्थ
रखने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
विटामिन बी-12 की कमी के लक्षण
खून की कमी, हाथ-पैरों में सुन्नपन, आँखों की रोशनी कम होना
आदि । यदि ध्यान न दें तो चलते समय शरीर का संतुलन बनाने में
समस्या, सोचने समझने की शक्ति में कमी, चिड़चिड़ापन, मस्तिष्क एवं
तंत्रिका-तंत्र को गम्भीर क्षति आदि विकार पैदा होते हैं । हृदय की
निष्क्रियता जैसे गम्भीर उपद्रव भी हो सकते हैं ।
अमीनो एसिड्स का उत्कृष्ट स्रोत
मनुष्य शरीर के लिए 9 अमीनो एसिड्स अत्यावश्यक होते हैं,
जिनकी कमी से अंतःस्राव (हार्मोन्स) एवं न्यूरोट्रांसमीटर्स का निर्माम,
मांसपेशियों का विकास एवं अऩ्य महत्त्वपूर्ण कार्यों में बाधा पहुँचने से
विभिन्न समस्याएँ उत्पन्न होती है । मींगी में 9 अमीनो एसिड्स में से
8 पाये जाते हैं, साथ ही कैल्शियम, मैग्नेशियम, लौह तत्त्व, मैंगनीज़,
फॉस्फोरस आदि खनिज एवं विटामिन ‘ई’, ‘सी’, ‘के’ आदि भी पाये जाते हैं
। गुठली की मींगी में मैंगीफेरिन होने से यह मधुमेह, मोटापा व कैंसर
से सुरक्षा में सहायक है ।
आयुर्वेद के अनुसार आम की गुठली की मींगी कफ-पित्तशामक एवं
कृमिनाशक है । यह छाती में जलन, उलटी, जी मितलाना, दस्त,
गर्भाशय की सूजन, बहूमूत्रता, अधिक मासिक स्राव, श्वेतप्रदर आदि रोगों
में लाभदायी है ।
कैसे करें सेवन ?
गुठली को भूनें और फिर मींगी निकाल के सेवन करें अथवा मींगी
को सेंककर या उबाल के खायें, इससे यह सुपाच्य हो जाती है ।
कच्ची मींगी के आटे को गेहूँ, जौ, मक्का आदि के आटे में 5 से
10 प्रतिशत मिलाकर रोटी, शीरा आदि बना के खा सकते हैं । नियमित
सेवन न करें ।
कोंकण प्रदेश के कुणबी जाति के सैंकड़ों लोग मींगी के आटे की
रोटी बनाकर गर्मियों एवं चौमासे के कुछ महीने सेवन करते हैं ।
दाल, सब्जी आदि पकाते समय कच्ची मींगी के टुकड़े ड़ाल के पका
के भी सेवन कर सकते हैं ।
सेवन-मात्राः मींगी या मींगी से बना मुखवास आधा से डेढ़ग्राम तक
जिसको जितना अनुकूल पड़े ले सकते हैं ।
दस्त मेः कच्ची मींगी को सुखाकर कूट-पीस के चूर्ण बना के रखें ।
3 से 5 ग्राम चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करें ।
सावधानीः पके आम की गुठली की मींगी का प्रयोग करें । मींगी
का अधिक सेवन कब्जकारक है ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, सितम्बर 2022, पृष्ठ संख्या 32, 33 अंक
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