120 ऋषि प्रसादः दिसम्बर 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

महानता के चार सिद्धान्त


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से महानता के चार सिद्धान्त हैं- हृदय की प्रसन्नता, उदारता, नम्रता, समता। हृदय की प्रसन्नता- जिसका हृदय जितना प्रसन्न, वह उतना ज्यादा महान होता है। जैसे – श्री कृष्ण प्रसन्नता की पराकाष्ठा पर हैं। ऋषि का श्राप मिला है, यदुवंशी आपस में ही लड़कर मार-काट मचा रहे हैं, …

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बंधन किसको है ?


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से श्री योगवाशिष्ठ महारामायण में आता है कि वह आनन्दस्वरूप अपना आत्मा ही परमेश्वर है। हम नित्य सुख चाहते हैं, सदा सुख चाहते हैं और सहज में सुख चाहते हैं। फिर भी यह मिले तो सुखी होऊँ, यहाँ जाऊँ तो सुखी होऊँ, ऐसा करूँ तो सुखी होऊँ… मन …

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पीपल का वृक्ष


भारतीय संस्कृति में वटवृक्ष, पीपल को पूजनीय माना जाता है और बड़ी श्रद्धा से पूजा की जाती है। प्राचीन काल में लोग शांति के लिए जिस प्रकार इन्द्र, वरुण आदि देवताओं की प्रार्थना करते थे, उसी प्रकार वृक्षों की भी प्रार्थना करते थे। वनिनो भवन्तु शं नौ। (ऋग्वेदः 7.35.5) अर्थात् ‘वृक्ष हमारे लिए शांतिकारक हों।’ …

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