120 ऋषि प्रसादः दिसम्बर 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

परिश्रम और मजदूरी


संत श्री आसाराम बापू जी के सत्संग-प्रवचन से परिश्रम दो प्रकार का होता है- शारीरिक और मानसिक। कई लोग कुदाली-फावड़े चलाकर शारीरिक परिश्रम करते हैं तो कई विचारों को दौड़ाकर मानसिक परिश्रम करते हैं। ज्ञानी दोनों परिश्रम छोड़कर स्वरूप मैं बैठे हैं, इसीलिए वे दोनों के गुरु हैं। स्थूल परिश्रम छोड़कर जितने सूक्ष्म बनोगे, सामर्थ्य …

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दुःख का कारण


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से परमात्मा ज्ञानस्वरूप, आनंदस्वरूप और सुखस्वरूप है। वह प्रकृति से परे है। यदि मन प्रकृति की चीजों में मन भटकता है तो बुद्धि में राग-द्वेष उत्पन्न होता है और मन शांत होता है तो बुद्धि स्थिर हो जाती है तथा भगवत्शांति प्रकट हो जाती है। बाहर चाहे दुःख …

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गीता का अविकम्प योग


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग प्रवचन से शास्त्र कहते हैं कि जब तक सामने वाला पूछे नहीं, नम्र न हो तब तक ऊँची बात नहीं बोलनी चाहिए, किंतु अर्जुन के न पूछने पर भी भगवान बोलते हैं। जैसे – कोई अन्धा गड्ढे में गिरता हो, उसको नहीं दिखता किंतु आपको दिखता है तो …

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