278 ऋषि प्रसादः फरवरी 2016

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

मनुष्य-जीवन की विलक्षणता


परब्रह्म परमात्मा में, जो अपना स्वरूप ही है, तीन भाव माने जाते हैं – सत्, चित्त और आनंद। मनुष्य में इन्हीं भावों का जब विकास होता है, तभी उसमें 5 अथवा अधिक कलाओं का विकास माना जाता है। यह विकास मनुष्य में ही सम्भव है, अतः मनुष्य शरीर दुर्लभ है। सत् के विकास में कर्म …

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एक शक्ति जो मनुष्य की अपेक्षा उच्चतर है


श्री रमण महर्षि गुरु का अनुग्रह तुमको जल से बाहर निकालने के लिए सहायता हेतु बढ़ाये गये हाथ के समान है अथवा वह अविद्या को दूर करने के लिए तुम्हारे (ईश्वर प्राप्ति के) मार्ग को सरल कर देता है। गुरु, अनुग्रह, ईश्वर आदि की यह सब चर्चा क्या है ? क्या गुरु तुम्हारा हाथ पकड़कर …

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संतों की अनोखी युक्ति


पूज्य बापू जी (ऋषि दयानन्द जयंतीः 4 मार्च 2016) झेलम (अखंड भारत के पंजाब प्रांत का शहर) में एक दिन ऋषि दयानंद जी का सत्संग सम्पन्न हुआ। अमीचन्द ने भजन गाया। दयानंद जी ने उसकी प्रशंसा की। वह जब चला गया तो लोगों ने दयानंद जी से बोलाः “यह तो तहसीलदार है परंतु चरित्रहीन है। …

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