283 ऋषि प्रसाद, जुलाई 2016

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

वर्षा ऋतु में सेहत की देखभाल-पूज्य बापू जी


वर्षा ऋतु में रोग, मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्तप्रकोप का बाहुल्य होता है। 80 प्रकार के वायु संबंधी व 32 प्रकार के पित्त संबंधी रोग होते हैं। वात और पित्त जुड़ता है तो हृदयाघात (हार्ट अटैक) होता है और दूसरी कई बीमारियाँ बनती हैं। इनका नियंत्रण करने के लिए बहुत सारी दवाइयों की जरूरत नहीं है। समान …

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मोक्ष की इच्छा वाले के लिए अनिवार्य शर्तें


श्री अखंडानंद जी सरस्वती जो अपने जीवन को अपने लक्ष्य की ओर प्रवाहित कर रहा है वह मार्ग में कहीं अटक नहीं सकता। यह अटकना ही आसक्ति का परिचायक है। जहाँ सुख प्रतीत होता है और जिसको अपना-आपा भोक्ता प्रतीत होता है वहाँ वह व्यक्ति आसक्त हुए बिना नहीं रह सकता। विषय में सत्यत्व एवं …

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बाल-वैरागी का अदभुत सामर्थ्य !


पूज्य बापू जी अगर मनुष्य का विवेक वैराग्य जाग उठे और वह तत्परता से लग पड़े तो छोटी सी उम्र में भी आत्मज्ञान की परम उपलब्धि प्राप्त कर सकता है। जरूरत है तो बस, दृढ़ निश्चय और अथक पुरुषार्थ की। एक महापुरुष थे श्री मधुसूदन सरस्वती। जब वे 10 वर्ष के थे तब एक बार …

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