शाश्वत स्थान की प्राप्ति
पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू तमेव शरणं गच्छ सर्वभावेन भारत। तत्प्रसादात्परां शांतिं स्थानं प्राप्स्यसि शाश्वतम्।। ʹहे भारत ! तू सर्व भाव से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उसकी कृपा से तू परम शान्ति और शाश्वत स्थान प्राप्त करेगा।ʹ (भगवद् गीताः 18.62) देह शाश्वत नहीं है अर्थात् सदा रहने वाली नहीं है, देह से …