055 ऋषि प्रसादः जुलाई 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

माँ पार्वती व जीवन्मुक्त संत


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू पूरा प्रभु आराधिया पूरा जा का नाँव। पूरे को ही पाइया पूरे के गुण गाँव।। ऐसे पूरे प्रभु की आराधना करने वाले एक जीवन्मुक्त संत बैठे हुए थे। पार्वती जी एवं शिवजी विचरण करते हुए उधर से निकले, तब पार्वती जी ने शिवजी से कहाः “देखिये तो सही, आपका यह …

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हस्तामलक स्तोत्र


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू दक्षिण भारत के श्रीबली नामक गाँव में प्रभाकर नाम के एक विद्वान ब्राह्मण रहते थे। उनका एक पागल सा लड़का था। वह लड़का बचपन से ही सांसारिक कार्यों के प्रति उदासीन वृत्ति रखता था। उसका व्यवहार एक गूंगे और बहले बालक के समान था। एक बार जब शंकराचार्य अपने शिष्योंसहित …

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ध्यान का अर्थ – पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू


कम से कम सुनें, कम से कम मन में संकल्प-विकल्प उत्पन्न हों, कम-से-कम इन्द्रियों को भोजन दें। जैसे, केवल पानी में इतनी शक्ति नहीं होती लेकिन पानी को जब गर्म किया जाता है, तब उसी पानी से बनी वाष्प में भारी शक्ति आ जाती है और टनों वजनवाली ट्रेनों तक को ले भागती है। इसी …

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