ध्यान का रहस्य
संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से ध्यान माने क्या ? हमारा मन नेत्रों के द्वारा जगत में जाता है, सबको निहारता है तब जाग्रतावस्था होती है, ʹहिताʹ नाम की नाड़ी में निहारता है तब स्वप्नावस्था होती है और जब हृदय में विश्रांति करता है तब सुषुप्तावस्था होती है। ध्यानावस्था न जाग्रतावस्था है, न स्वप्नावस्था …