शिवविरोधी की गति
संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से दो प्रकार के कर्त्तव्य होते हैं- एक तो सामाजिक ऐहिक कर्त्तव्य और दूसरा, जिस उद्देश्य के लिए शरीर मिला है, उस उद्देश्य की पूर्ति हेतु कर्त्तव्य। ऐहिक उद्देश्य की पूर्ति ऐहिक शरीर तक ही सीमित है लेकिन वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति सनातन सत्य से मिला देती है। जो …