091 ऋषि प्रसादः जुलाई 2000

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

शिवविरोधी की गति


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से दो प्रकार के कर्त्तव्य होते हैं- एक तो सामाजिक ऐहिक कर्त्तव्य और दूसरा, जिस उद्देश्य के लिए शरीर मिला है, उस उद्देश्य की पूर्ति हेतु कर्त्तव्य। ऐहिक उद्देश्य की पूर्ति ऐहिक शरीर तक ही सीमित है लेकिन वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति सनातन सत्य से मिला देती है। जो …

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भक्ति की शक्ति


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से एक योगी ने योगबल से संकल्प करके अपना सूक्ष्म शरीर निकाला और भगवान विष्णु के लोक में गया। वहाँ जाकर उसने भगवान से कहाः “मुझे आपकी प्रेमाभक्ति दे दो।” भगवानः “योगी ! तुझे चाहिए तो राज्य दे दूँ। अरे, तुझे चक्रवर्ती सम्राट बना दूँ।” योगीः “नहीं, प्रभु ! …

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परमात्मप्रेम में सहायक पाँच बातें


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से परमात्मप्रेम बढ़ाने के लिए जीवन में निम्नलिखित पाँच बातें आ जायें ऐसा यत्न करना चाहिएः भगवच्चरित्र का श्रवण करो। महापुरुषों के जीवन की गाथाएँ सुनो या पढ़ो। इससे भक्ति बढ़ेगी एवं ज्ञान-वैराग्य में मदद मिलेगी। भगवान की स्तुति-भजन गाओ या सुनो। अकेले बैठो तब भजन गुनगुनाओ। अन्यथा, …

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