098 ऋषि प्रसादः फरवरी 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

संत सान्निध्य की महिमा


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से ʹश्रीयोगवाशिष्ठ महारामायणʹ में आता हैः “हे राम जी ! संत और भक्त में दोष देखना अपना विनाश करना है। साधु में एक भी गुण है तो उसको अंगीकार कीजिये। उनके अवगुण न सोचिये, न खोजिये।“ अगर अवगुण देखना चाहोगे तो श्रीराम में भी दिख जायेंगे, श्री कृष्ण में …

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रसायन चिकित्सा


रसायन चिकित्सा आयुर्वेद के अष्टांगों में से एक महत्त्वपूर्ण चिकित्सा है। रसायन का सीधा सम्बन्ध धातु के पोषण से है। यह केवल औषध-व्यवस्था न होकर औषधि, आहार-विहार एवं आचार का एक विशिष्ट प्रयोग है जिसका उद्देश्य शरीर में उत्तम धातुपोषण के माध्यम से दीर्घ आयुष्य, रोगप्रतिकारक शक्ति एवं उत्तम बुद्धिशक्ति को उत्पन्न करना है। स्थूल …

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मन बुद्धि को परमात्मा में लगायें….


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग प्रवचन से ʹश्रीमद् भगवद् गीताʹ में आया हैः मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय। निवसिष्यसि मय्येव अत ऊर्ध्वं न संशयः।। ʹमुझमें मन को लगा और मुझमें ही बुद्धि को लगा। इसके उपरान्त तू मुझमें ही निवास करेगा, इसमें कुछ भी संशय नहीं है।ʹ (गीताः12.2) भगवान यहाँ जो ʹमुझमेंʹ शब्द …

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