संत सान्निध्य की महिमा
संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से ʹश्रीयोगवाशिष्ठ महारामायणʹ में आता हैः “हे राम जी ! संत और भक्त में दोष देखना अपना विनाश करना है। साधु में एक भी गुण है तो उसको अंगीकार कीजिये। उनके अवगुण न सोचिये, न खोजिये।“ अगर अवगुण देखना चाहोगे तो श्रीराम में भी दिख जायेंगे, श्री कृष्ण में …