102 ऋषि प्रसादः जून 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सफलता का विज्ञान


संत श्री आशाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से विदेश में किसी व्यक्ति ने सुना कि फलानी जगह पर खोदने से सोना निकलेगा। उसने वह जमीन खरीद ली और खुदवाना शुरु किया। खोदने के कार्य में उसके लाखों रूपये खर्च हो गये किन्तु कुछ मिला नहीं। वह अत्यंत निराश हो गया, तब उसके किसी मित्र ने …

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निःस्पृहता का प्रभाव


संत श्री आशाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से यदा विनियतं चित्तमात्मन्येवावतिष्ठते। निःस्पृह सर्वकामेभ्यो युक्त इत्युच्यते तदा।। ‘अत्यंत वश में किया हुआ चित्त जिस काल में परमात्मा में ही भलीभाँति स्थित हो जाता है, उस काल में संपूर्ण भोगों से स्पृहारहित पुरुष योगयुक्त है, ऐसा कहा जाता है।’ (गीताः 6.18) जिस काल में तुम्हारे चित्त में …

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आठ प्रकार के पुष्प


एक बार राजा अम्बरीष ने देवर्षि नारद से पूछाः “भगवान की पूजा के लिए भगवान को कौन से पुष्प पसंद हैं ?” नारदजीः “राजन् ! भगवान को आठ प्रकार के पुष्प पसंद हैं। उन आठ प्रकार के पुष्पों से जो भगवान की पूजा करता है, भगवान उसके हृदय में प्रकट हो जाते हैं। उसकी बुद्धि …

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