105 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

अहंता और ममता


संत श्री आशाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से भोग और विकारों को मिथ्या जानकर जिसने अपना मन भगवान में लगा दिया, जिसने अपना मन जगत से मोड़कर जगदीश्वर में लगा दिया, उसे जगत की कोई परिस्थिति दुःख नहीं दे सकती। ‘यह मेरा बेटा है, यह मेरा पिता है, यह मेरी माता है, यह मेरी पत्नी …

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