निर्वासनिक पुरुष की महिमा
(चेटीचण्ड 2001 शिविर में श्रीयोगवाशिष्ठ महारामायण जैसे महान वेदांत ग्रंथ को सहज सरल भाषा में समझाते हुए पूज्य श्री कह रहे हैं-) ‘हिमालय पर्वत में प्राप्त हुआ तपस्वी भी ऐसा शीतल नहीं होता, जैसा निर्वासनिक पुरुष का मन शीतल होता है।” हिमालय पर्वत में शीतलता तो होती है लेकिन बर्फ की शीतलता शरीर को ठण्डक …