106 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

वैराग्य अग्नि प्रज्वलित करें….


(जैसे गाय दिन भर के चारे का कुछ साररूप अमृत अपने बछड़े को दूधरूप में पिलाती है ऐसे ही प्राचीन ग्रंथों-पुराणों और उपनिषदों का साररूप अमृत-रस  संचित करके, पूज्य बापू जी अपने भक्तों को पिला रहे हैं। यह ज्ञानामृत ‘चित्त का इलाज’ कैसेट से संकलित है।) पुराण में यह प्रसंग आता है, श्री कृष्ण उद्धव …

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साधना के सोपान


(पूज्य श्री के तीन महीने के एकांत-मौन के बाद दक्षिण दिल्ली के पुष्पविहार में हुए सत्संग से उदधृत कुछ अमृत-पुष्प….) चार जगर पर व्यावहारिक बात नहीं करनी चाहिए, केवल भगवत्स्मरण ही करना चाहिए। ये चार स्थान हैं- श्मशान, मंदिर, गुरु-निवास एवं रोगी के पास। श्मशान में कभी गये तो ‘तुम्हार क्या हाल है ? आजकल …

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करूणासागर की करूणा….


पूज्य बापू जी का साक्षात्कार दिवसः 18 अक्टूबर 2001 (जीवन में सदगुरु की कितनी आवश्यकता है इस विषय पर चेटीचंड 2001 के ध्यान योग शिविर में शिविरार्थियों को समझाते हुए पूज्य बापू जी कह रहे हैं-) प्रसादे सर्वदुःखानां….. परमात्मशांति के प्रसाद से सारे दुःखों का अंत होता है और बुद्धि परमात्मस्वरूप में प्रतिष्ठित होती है। …

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