वैराग्य अग्नि प्रज्वलित करें….
(जैसे गाय दिन भर के चारे का कुछ साररूप अमृत अपने बछड़े को दूधरूप में पिलाती है ऐसे ही प्राचीन ग्रंथों-पुराणों और उपनिषदों का साररूप अमृत-रस संचित करके, पूज्य बापू जी अपने भक्तों को पिला रहे हैं। यह ज्ञानामृत ‘चित्त का इलाज’ कैसेट से संकलित है।) पुराण में यह प्रसंग आता है, श्री कृष्ण उद्धव …