107 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

साधक जीवन की दो समस्याएँ


संत श्री आसाराम बापू के सत्संग-प्रवचन से साधक के जीवन में दो समस्याएँ आती हैं- एक तरफ संसार का आकर्षण और संसार की जवाबदारियाँ एवं दूसरी तरफ भगवत्प्राप्ति की लालसा। जिस साधक के जीवन में भगवत्प्राप्ति की लालसा होती  वह संसारियों से ज्यादा दुःखी होता है क्योंकि संसारियों को तो केवल संसार की लालसा होती …

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सब दुःखों का नाशकः आत्मविचार


संत श्री आसाराम जी के सत्संग प्रवचन से ‘श्री योगवाशिष्ठ महारामायण’ में आता हैः “हे राम जी ! एक आत्मदृष्टि ही सबसे श्रेष्ठ है, जिसे पाने से सारे दुःख नष्ट हो जाते हैं और परमानंद प्राप्त होता है। यह आत्मचिंतन सब दुःखों का नाशक है। यह चिरकाल से तीनों तापों से तपे और जन्म मरण …

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मिठाई की दुकान अर्थात् यमदूत का घर – स्वामी विवेकानन्द


आयुर्वेद-शास्त्र में आता है कि केवल दूध ही पचने में भारी है तो फिर दूध को जलाकर जो मावा बनाया जाता है वह पचने में कितना भारी होगा ! आचार्य सुश्रुत ने कहा हैः भैंस का दूध पचने में अति भारी, अतिशय अभिष्यंदी होने से रसवाही स्रोतों को कफ से अवरूद्ध करने वाला एवं जठराग्नि …

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