107 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गुफा में सांप


सिंध (वर्तमान पाकिस्तान) के तलहार शहर की बात हैः मैं (स्वामी केवलराम) और संत कृष्णदास दोनों साथ में रहते थे और गुरुद्वार पर अध्ययन करते थे। एक बार हम दोनों टंडेमहमदखान से सदगुरु स्वामी श्री केशवानंद जी की आज्ञा लेकर श्रीलीलाशाह जी के दर्शन के लिए तलहार गये। हम सब गुरुभाई एक ही सदगुरु के …

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एक का ही आश्रय लें…………


(कल-कल, छल-छल करती पतित पावन गंगा, यमुना एवं सरस्वती का त्रिवेणी संगम स्थल अर्थात् तीर्थराज प्रयाग में पूज्य श्री ने तीन महीने के मौन के बाद बहायी गीता-ज्ञान गंगा….) क्यों सिद्ध बनना चाहता, तुझी से सब सिद्ध हैं। हैं खेल सारी सिद्धियाँ, तू सिद्ध का भी सिद्ध है।। अपनी आत्मा को देखो, अपने परमेश्वर से …

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भक्त मोहन


(अमदावाद में मार्च 2001 में आयोजित विद्यार्थी शिविर में देश के नन्हें-नन्हें भावी कर्णधारों को प्रेरक प्रसंग के माध्यम से भक्तिकी महिमा समझाते हुए पूज्य श्री ने कहाः) मोहन की माँ ने उसे पढ़ने के लिए गुरुकुल में भेजा। मोहन के पिता का बचपन में ही स्वर्गवास हो गया था। गरीब ब्राह्मणी ने अपने इकलौते …

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