सर्वकला भरपूर, प्रभु !
(ईश्वर सदा है सर्वत्र है और सबमें है। उसी के कारण हमारा अस्तित्व है। इसी बात पर प्रकाश डालते हुए पूज्यश्री कह रहे हैं-) कंकर, पत्थर और पहाड़ में ईश्वर के अस्तित्व की एक कला है – अस्तिपना। कंकर, पत्थर और पहाड़ों का चूरा करके बालू बना दो। बालू का भी चूरा कर दो फिर …