श्रद्धा और अश्रद्धा
संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से जैसे लोहे और अग्नि के संयोग से तमाम प्रकार के औजार बन जाते हैं, ऐसे ही श्रद्धा और एकाग्रता से मानसिक योग्यताएँ विकसित होती हैं, आध्यात्मिक अनुभूतियाँ होती हैं तथा सभी प्रकार की सफलताएँ और सिद्धियाँ मिलती हैं। श्रद्धा सही होती है तो सही परिणाम आता है …