आत्महत्याः कायरता की पराकाष्ठा
पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से मृत्यु एक ईश्वरीय वरदान है, फिर भी यदि कोई आत्महत्या करता है तो वह महापाप है । परमात्मा ने हमें यह अमूल्य मानव चोला दिया है तो हमारा कर्तव्य है कि हम इसे साफ सुथरा रखें, इसे स्वस्थ-तन्दुरुस्त रखें । ऐसा नहीं कि मृत्यु जरूरी है तो अनाप-शनाप खाकर …