194 ऋषि प्रसादः फरवरी 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

उद्देश्य और आश्रय


पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन  से संसार को अनित्य, बदलने वाला जानो और भगवान को नित्य, सदा रहने वाला मानो । संसार दुःखालय है । संसार शत्रु देकर तपाता है और मित्र देकर भी दुःख देता है । मित्र मिला और वह बीमार हो तो दुःख देगा । मित्र चिढ़ गया तो दुःख देगा । …

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किसके साथ कैसा व्यवहार ?


पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से आपको व्यवहार काल में अगर भक्ति में सफल होना है तो तीन बातें समझ लोः 1 अपने साथ पुरुषवत् व्यवहार करो । जैसे पुरुष का हृदय अनुशासनवाला, विवेकवाला होता है, ऐसे अपने प्रति तटस्थ व्यवहार करो । कहीं गलती हो गयी तो अपने मन को अनुशासित करो । 2 …

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निष्काम कर्मयोग


एक बार श्री रमण महर्षि से ‘वूरीज कॉलेज, वैलोर’ के तेलगु पंडित श्री रंगचारी ने निष्काम कर्म-विषयक जानकारी के लिए जिज्ञासा प्रकट की । महर्षि ने कोई उत्तर नहीं दिया । कुछ समय पश्चात महर्षि पर्वत पर घूमने गये । पंडित सहित कुछ अन्य व्यक्ति भी उनके साथ थे । मार्ग में एक काँटेदार लकड़ी …

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