आदर तथा अनादर….
(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) दुर्लभो मानुषो देहो देहीनां क्षणभंगुरः । तत्रापि दुर्लभं मन्ये वैकुण्ठप्रियदर्शनम् ।। ‘मनुष्य देह मिलना दुर्लभ है । वह मिल जाय फिर भी वह क्षणभंगुर है । ऐसी क्षणभंगुर मनुष्य देह में भी भगवान के प्रिय संतजनों का दर्शन तो उससे भी अधिक दुर्लभ है ।’ यह शरीर, जो पहले …