201 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गुरुभक्तियोग की महत्ता – ब्रह्मलीन स्वामी शिवानंद जी


जिस प्रकार शीघ्र ईश्वर दर्शन के लिए कलियुग-साधना के रूप में कीर्तन साधना है, उसी प्रकार इस संशय, नास्तिकता, अभिमान और अहंकार के युग में योग की एक नयी पद्धति यहाँ प्रस्तुत है – गुरुभक्तियोग । यह योग अदभुत है । इसकी शक्ति असीम है । इसका  प्रभाव अमोघ है । इसकी महत्ता अवर्णनीय है …

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रोग-शमन के रहस्यमय साधन


रोग-उपचार के भी विविध उपाय हैं- शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक । व्यक्ति इन तीन संसारों का नागरिक है । आध्यात्मिक शक्तिसम्पन्न व्यक्ति प्रत्येक स्तर के रोगों का उपचार कर सकता है किंतु जिस समय वह इसे अपना व्यवसाय बना लेता है, उसी उसकी संकल्पशक्ति क्षीण होकर मन बहिर्मुख हो जाता है । विक्षिप्त तथा संसार …

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लूट मची, खुशहाली छायी


एक धनी सेठ के सात बेटे थे । छः का विवाह हो चुका था । सातवीं बहू आयी, वह सत्संगी माँ-बाप की बेटी थी । बचपन से ही सत्संग में जाने से सत्संग के सुसंस्कार उसमें गहरे उतरे हुए थे । छोटी बहू ने देखा कि घर का सारा काम तो नौकर-चाकर करते हैं, जेठानियाँ …

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