बुद्धियोग का आश्रय लो
(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) ‘गीता’ (6.5) में भगवान कहते हैं- उद्धरेदात्मनाऽत्मानं नात्मानमवसादयेत् । आत्मैव ह्यतामनो बन्धुरामैव रिपुरात्मनः ।। ‘अपने द्वारा अपना संसार-समुद्र से उद्धार करें और अपने को अधोगति में न डालें क्योंकि यह मनुष्य आप ही तो अपना मित्र है और आप ही अपना शत्रु है ।’ अगर आप इन्द्रियों को मन …