201 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

बुद्धियोग का आश्रय लो


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) ‘गीता’ (6.5) में भगवान कहते हैं- उद्धरेदात्मनाऽत्मानं नात्मानमवसादयेत् । आत्मैव ह्यतामनो बन्धुरामैव रिपुरात्मनः ।। ‘अपने द्वारा अपना संसार-समुद्र से उद्धार करें और अपने को अधोगति में न डालें क्योंकि यह मनुष्य आप ही तो अपना मित्र है और आप ही अपना शत्रु है ।’ अगर आप इन्द्रियों को मन …

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सत्संग जीवन का कल्पवृक्ष है


परमात्मा मिलना उतना कठिन नहीं है जितना कि पावन सत्संग का मिलना कठिन है । यदि सत्संग के द्वारा परमात्मा की महिमा का पता न हो तो सम्भव है कि परमात्मा मिल जाय फिर भी उसकी पहचान न हो, उनके वास्तविक आनंद से वंचित रह जाओ । सब पूछो तो परमात्मा मिला हुआ ही है …

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बेटा हो तो ऐसा !


टिहरी के राजा महेन्द्रप्रताप निःसन्तान थे । एक बार उन्होंने पुत्र-जन्मोत्सव के निमित्त पंडित मदनमोहन मालवीय व अन्य मित्रों को न्योता दिया । मालवीय जी सहित सभी लोग आ गये । सभी को भोजन वगैरह करवाया गया । तत्पश्चात् मालवीय जी बोलेः “भाई ! बेटे का नाम मुझसे रखवाना चाहते हो न, तो बेटे को …

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