ठग सुक्खा सलाखों के पीछे
कहते हें- विनाशकाले विपरीतबुद्धिः। जब गीदड़ की मौत आती है तब वह शहर की ओर भागता है। ऐसा ही हुआ ठग सुखाराम के साथ जिसने पूज्य बापू जी जैसे महान, पवित्र, ब्रह्मज्ञानी संत को बदनाम करने की साजिश की। शायद उसे यह पता नहीं था कि संत सताये तीनों जायें, तेज, बल और वंश। ऐसे …