अदभुत है आत्मविद्या !
पूज्य बापू जी की ज्ञानमयी अमृतवाणी मानव जन्म बड़ा कीमती है। समस्त साधनों का धाम व मोक्ष का द्वार यह मनुष्य-शरीर देवताओं को भी दुर्लभ है। संत तुलसीदास जी कहते हैं- बड़ें भाग मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा।। साधन धाम मोच्छ कर द्वारा। पाई न जेहिं परलोक सँवारा।। (श्री रामचरित. उ.कां. 42.4) …