नश्वर लुटाया, शाश्वत पाया
पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से स्वामी विवेकानंद जी के बाल्यकाल की बात है। तब उनका नाम नरेन्द्र था। जब भी कोई गरीब-गुरबा या भिखारी आकर उनसे कुछ माँगता तो अपने पुराने सँस्कार के कारण जो भी सामान मिलता वह दे डालते थे। घर में रूपया-पैसा या और कुछ नहीं मिलता तो बर्तन ही उठाकर …