221 ऋषि प्रसादः मई 2011

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

नश्वर लुटाया, शाश्वत पाया


पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से स्वामी विवेकानंद जी के बाल्यकाल की बात है। तब उनका नाम नरेन्द्र था। जब भी कोई गरीब-गुरबा या भिखारी आकर उनसे कुछ माँगता तो अपने पुराने सँस्कार के कारण जो भी सामान मिलता वह दे डालते थे। घर में रूपया-पैसा या और कुछ नहीं मिलता तो बर्तन ही उठाकर …

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उद्यमः साहसं…..


आदि से पग-पग पर परमात्म-सहायता और आनंद का अनुभव करो धैर्यशील व्यक्ति का मस्तिष्क सदा शांत रहता है। उसकी बुद्धि सदा ठिकाने पर रहती है। उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति और पराक्रम इन दैवी गुणों से युक्त व्यक्ति आपदाओं और विफलताओं से भय नहीं खाता। अपने को मजबूत बनाने के लिए वह अनेकों उपाय खोज …

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सफल जीवन किसका ?


पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से जीवन सफल उसी का है जो बिना विकारों, बिना बेईमानी, बिना लूट-खसोट के सहज में सुखी रह सकता है, औरों को सुखी कर सकता है। एक बार हरि बाबा बदायूँ जिले (उ.प्र.) के गाँव के पास गंगातट पर पहुँचे। उस समय गंगा जी में बाढ़ आयी हुई थी। गंगा …

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