भगवान के वास्तविक स्वरूप को जानो
(आत्मनिष्ठ बापू जी के मुखारविंद से निःसृत ज्ञानगंगा) भगवान कहते हैं- मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युजन्मदाश्रयः । असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु ।। ‘हे पार्थ ! अनन्य प्रेम से मुझमें आसक्तचित्त तथा अनन्यभाव से मेरे परायण होकर योग में लगा हुआ तू जिस प्रकार से सम्पूर्ण विभूति, बल, ऐश्वर्य आदि गुणों से युक्त, सबके आत्मरूप …