होली मनायें तो ऐसी
(होलिका दहनः 7 मार्च 2012, धुलेंडीः 8 मार्च 2012) (पूज्य बापू जी की ज्ञानमयी वाणी से) होली अगर हो खेलनी, तो संत सम्मत खेलिये। संतान शुभ ऋषि मुनिन की, मत संत आज्ञा पेलिये।। तुम संतों और ऋषि-मुनियों की संतान हो। यदि तुम होली खेलना चाहते हो तो भाँग पीकर बाजार में नाचने की जरूरत नहीं …