238 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

श्रीरामचन्द्रजी का वैराग्य


(आत्मनिष्ठ पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रसाद से) लगभग 16 वर्ष की वय में दशरथनंदन राजकुमार श्रीरामचन्द्रजी अपने पिता से आज्ञा लेकर तीर्थयात्रा करने निकले और सभी तीर्थों के दर्शन एवं दान, तप, ध्यान आदि करते हुए एक वर्ष बाद पुनः अयोध्या लौटेष तब एकांत में श्रीरामजी विचार करते हैं, ʹजितने भी बड़े-बड़े राजा, महाराजा, धनाढ्य …

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सदगुरु से क्या सीखें ?


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रसाद से) साधक को 16 बातें अपने गुरु से जान लेनी चाहिए अथवा गुरु को अपनी ओर से कृपा करके शिष्य को समझा देनी चाहिए। इन 16 बातों का ज्ञान साधक के जीवन में होगा तो वह उन्नत रहेगा, स्वस्थ रहेगा, सुखी रहेगा, संतुष्ट रहेगा, परम पद को पाने का अधिकारी …

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मेरे स्वास्थ्य की कुंजी आप भी ले लो – पूज्य बापू जी


(विश्वात्मा पूज्य संत श्री आशारामजी बापू केवल भारत ही नहीं अपितु समस्त विश्व के कल्याण में रत रहते हैं। एक-एक दिन में सैंकड़ों-हजारों किलोमीटर देशाटन करके लोक-कल्याणार्थ वर्षभर में 200 से अधिक विभिन्न स्थानों में सत्संग-कार्यक्रम सफलतापूर्वक करना एक विलक्षण आध्यात्मिक विश्व-कीर्तिमान ही है। व्यक्ति एक राज्य से दूसरे राज्य में लम्बा सफर तय करके …

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