श्रीरामचन्द्रजी का वैराग्य
(आत्मनिष्ठ पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रसाद से) लगभग 16 वर्ष की वय में दशरथनंदन राजकुमार श्रीरामचन्द्रजी अपने पिता से आज्ञा लेकर तीर्थयात्रा करने निकले और सभी तीर्थों के दर्शन एवं दान, तप, ध्यान आदि करते हुए एक वर्ष बाद पुनः अयोध्या लौटेष तब एकांत में श्रीरामजी विचार करते हैं, ʹजितने भी बड़े-बड़े राजा, महाराजा, धनाढ्य …